Harpinder Kaur

Harpinder Kaur Lives in Sundernagar, Himachal Pradesh, India

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White पीले रंग का घाघरा पहने , प्रकृति आज मुस्काई है देखो आज बसंत आई है माॅं शारदे ने छेड़ा है आज फिर कोई स्वर फिर वीणा की तारें गुनगुनाई हैं देखो आज बसंत आई है डाल पर बैठी कोयल गुनगुना रही राग बसंत उसके मीठे-मीठे स्वरों ने ताल बजाई है देखो बसंत आई हैं ©Harpinder Kaur

 White पीले रंग का घाघरा पहने ,
प्रकृति आज मुस्काई है 
देखो आज बसंत आई है 
माॅं शारदे ने छेड़ा है आज फिर कोई स्वर 
फिर वीणा की तारें गुनगुनाई हैं 
देखो आज बसंत आई है
डाल पर बैठी कोयल गुनगुना रही 
राग बसंत 
उसके मीठे-मीठे स्वरों ने ताल बजाई है 
देखो बसंत आई हैं

©Harpinder Kaur

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 💐

15 Love

White बंटता हुआ आदमी हॉं, मैं हूॅं बंटता हुआ आदमी हर समय,हर जगह और हर तरफ से बांटा हुआ थोड़ा - थोड़ा टूकड़ों में क्षण- क्षण भर के लिए अपने परिवार में, रिश्तों में समाज में और मित्रों में सब जगह बंट गया हूं थोड़ा -थोड़ा जैसे बंटता है कोई दान की तरह ©Harpinder Kaur

 White बंटता हुआ आदमी 
हॉं, मैं हूॅं बंटता हुआ आदमी 
हर समय,हर जगह और 
हर तरफ से बांटा हुआ 
थोड़ा - थोड़ा टूकड़ों में 
क्षण- क्षण भर के लिए 
अपने परिवार में, रिश्तों में 
समाज में और मित्रों में 
सब जगह बंट गया हूं 
थोड़ा -थोड़ा
जैसे बंटता है कोई दान की तरह

©Harpinder Kaur

# ✍️

14 Love

जिस भाषा ने हाथ जोड़कर हमें है आदर से झुकना सिखाया उसी भाषा ने विदेशों तक जाकर सनातन का है सार समझाया गजब की है इसकी वर्णमाला अ से अदब,घ से घर,म से ममता,स से संस्कार और ज्ञ से ज्ञान हमें सिखाती है संस्कृत है इसकी जननी उर्दू इसकी बहना है अंग्रेजी भी है अतरंगी पड़ोसन मेरी हिन्दी को उस संग भी रहना है विश्व हिन्दी दिवस 💐 ©Harpinder Kaur

 जिस भाषा ने हाथ जोड़कर 
हमें है आदर से झुकना सिखाया 
उसी भाषा ने विदेशों तक जाकर 
सनातन का है सार समझाया 
गजब की है इसकी वर्णमाला 
अ से अदब,घ से घर,म से ममता,स से संस्कार 
और ज्ञ से ज्ञान हमें सिखाती है 
संस्कृत है इसकी जननी
उर्दू इसकी बहना है 
अंग्रेजी भी है अतरंगी पड़ोसन
मेरी हिन्दी को उस संग भी रहना है 
विश्व हिन्दी दिवस 💐

©Harpinder Kaur

# विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

11 Love

Unsplash किताबें महज़ पन्नों की गांठ नहीं किताबें हैं समाज का दर्पण आदमी को इंसान बनाने की प्रक्रिया और है सब के विचारों नजरिए का सार जिसे गहनता से समझा जाना चाहिए न कि पढ़ा जाना चाहिए केवल दिल बहलाने के लिए किताबें हैं प्रेम का समुद्र दु:ख की सांत्वना सुख की छाया और जीवन जीने की कला और कल्पना की उड़ान की साथी किताब महज़ एक किताब नहीं ©Harpinder Kaur

 Unsplash किताबें 
महज़ पन्नों की गांठ नहीं 
किताबें हैं समाज का दर्पण 
आदमी को इंसान बनाने की प्रक्रिया 
और है
सब के विचारों नजरिए का सार 
जिसे गहनता से समझा जाना चाहिए 
न कि पढ़ा जाना चाहिए 
केवल दिल बहलाने के लिए 
किताबें  हैं 
प्रेम का समुद्र 
दु:ख की सांत्वना 
सुख की छाया और 
जीवन जीने की कला 
और कल्पना की उड़ान की साथी


किताब महज़ एक किताब नहीं

©Harpinder Kaur

# प्रेम,जीवन और किताबें

19 Love

New Year 2024-25 बीत गया सब धीरे-धीरे सब कुछ बदल जाएगा आने वाला नया कल नया सूरज,नई उम्मीदें लाएगा परिवर्तन तो है शाश्वत नियम ये यूं ही होता जाएगा थामो हाथ तुम नव जीवन का नववर्ष के गीत गुनगुनाओगे तुम राधा नाम को लेकर संग कान्हा साथ मस्त हो जाओ तुम नववर्ष में करो प्रतिज्ञा कुमार्ग न अपनाएंगे जीवन को जिएंगे खुशियों से और किसी का दिल न दुखाएंगे नववर्ष रहे सबका सुख, समृद्धि और खुशहाली से भरा यही प्रार्थना से नववर्ष मनाएंगे ©Harpinder Kaur

 New Year 2024-25 बीत गया सब धीरे-धीरे 
सब कुछ बदल जाएगा 
आने वाला नया कल
नया सूरज,नई उम्मीदें लाएगा 
परिवर्तन तो है शाश्वत नियम 
ये यूं ही होता जाएगा
थामो हाथ तुम नव जीवन का
नववर्ष के गीत गुनगुनाओगे तुम 
राधा नाम को लेकर संग
कान्हा साथ मस्त हो जाओ तुम 
नववर्ष में करो प्रतिज्ञा 
कुमार्ग न अपनाएंगे 
जीवन को जिएंगे खुशियों से 
और किसी का दिल न दुखाएंगे 
नववर्ष रहे सबका
सुख, समृद्धि और खुशहाली 
से भरा 
यही प्रार्थना से नववर्ष 
मनाएंगे

©Harpinder Kaur

# नववर्ष

12 Love

White आदमी का स्वभाव है आदमी को महज़ खिलौना समझना जिसे वो इस्तेमाल करता है महज़ दिल बहलाने को दिल बहला लेने के बाद उसका खिलौना महज़ रह जाता है एक आधा, टूटा, बिखरा, सा खिलौना फिर उस खिलौने में दिलचस्पी खत्म होने पर आदमी ढूँढता है फिर एक नया खिलौना पुन: उसे टूटा बिखरा और अधूरा छोड़ने के लिए कितना छिछलापन है आदमी का आदमी होना वो पूर्णतः इंसान क्यों नहीं होता क्यों महज़ रहता है वो आदमी...... ©Harpinder Kaur

 White आदमी का स्वभाव है आदमी को महज़ 
खिलौना समझना
जिसे वो इस्तेमाल करता है
महज़ दिल बहलाने को
दिल बहला लेने के बाद 
उसका खिलौना महज़ रह जाता है
एक आधा, टूटा, बिखरा, सा खिलौना 
फिर उस खिलौने में  दिलचस्पी खत्म होने पर
आदमी ढूँढता है फिर एक नया खिलौना 
पुन: उसे टूटा बिखरा और अधूरा छोड़ने के लिए
कितना छिछलापन है आदमी का आदमी होना
वो पूर्णतः इंसान क्यों नहीं होता 
क्यों महज़ रहता है वो  आदमी......

©Harpinder Kaur

# आदमी.... इंसान क्यों नहीं होता?

13 Love

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