इंसान की पहचान लेखन से नहीं, व्यवहार से होती है ✍️✍️✍️ ना हम लेखक है, ना है शायर, शौक था लिखने का तो लिख रहे है बस इंसान जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है। जैसा होता है वैसा दिखता नहीं है। हमारे लेखन से हमारे व्यक्तित्व का मापन नहीं हो सकता। श्रेष्ठ लेखक एक गलत इंसान हो सकता है ठीक इसके विपरीत खुद को अच्छी तरह अभिव्यक्त कर पाने में असफल व्यक्ति जिसके लेखन से आप उसे गलत आंकते हो वो एक बेहतरीन इंसान हो सकता है अर्थात व्यक्ति का उत्तम लेखन उसके उत्तम व्यक्तित्व की गारंटी नहीं। इसलिए आप मेरे लेखन से मेरे व्यक्तित्व को ना आंके। अच्छा लेखन अच्छा व्यवहार को प्रदर्शित नहीं करता है। हम अपनी कल्पनाशक्ति से लेखन में कोई भी भाव डाल सकते है , जरूरी नहीं होता जो लिखा है वो खुद से जुड़ा हो। आपका स्वागत है यहाँ तक आने के लिए हमेशा हमारी प्रोफाइल पर आपकी उपस्तिथि आवश्यक है, आप आओगे तो हम लिखने के लिए प्रोत्साहित होंगे। 🙏धन्यवाद🙏
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