नेहा तोमर

नेहा तोमर

वो अधूरी ख्वाहिशे, जुवां जिन्हें कह नहीं पाई...................?

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यहां रोज सियासत होती है, बस लोग बदल जाते हैं। शोषण करने के यहां, बस तौर बदल जाते हैं।। इज्जत भी होती नीलाम यहां, ज़ख्म भी घुटकर मर जाते हैं। जब खेल खेलती राजनीति, दुःखियों के दर्द दब जाते हैं। कभी पितामह हुए मौन यहां, अब नेता मौन हो जातें हैं हर रोज ही लुटतीं हैं द्रोपदी, अब कृष्ण कहां आते हैं शोषण करने के यहां, बस तौर बदल जाते हैं।। ©नेहा तोमर

#विचार #ChainSmoking  यहां रोज सियासत होती है,
बस लोग बदल जाते हैं।
शोषण करने के यहां,
बस तौर बदल जाते हैं।।

इज्जत भी होती नीलाम यहां,
ज़ख्म भी घुटकर मर जाते हैं।
जब खेल खेलती राजनीति,
दुःखियों के दर्द दब जाते हैं।
कभी पितामह हुए मौन यहां,
अब नेता मौन हो जातें हैं

हर रोज ही लुटतीं हैं द्रोपदी,
अब कृष्ण कहां आते हैं
शोषण करने के यहां,
बस तौर बदल जाते हैं।।

©नेहा तोमर

#ChainSmoking

23 Love

#ज़िन्दगी  यूं ही नहीं कोई झोंकता,
इस जिस्म को आग में।
किसी बात की तो कोई, 
‘हद’होती होगी।।
यूं ही नहीं खेलता,
कोई जिस्म आग की लपटों से ।
अरमानों की सेज,
जरूर कहीं चीखती होगी।।

क्यूं माथे की बिंदिया,
 चमक भूल जाती है।
क्यूं कोई औरत,
 खुद से रूठ जाती है।।
यूं ही नहीं झूल जाता,
कोई गला फांसी पर।
सावन की डोर जरूर,
 कहीं टूटती होगी ।।

©नेहा तोमर

यूं ही नहीं कोई झोंकता, इस जिस्म को आग में। किसी बात की तो कोई, ‘हद’होती होगी।। यूं ही नहीं खेलता, कोई जिस्म आग की लपटों से । अरमानों की सेज, जरूर कहीं चीखती होगी।। क्यूं माथे की बिंदिया, चमक भूल जाती है। क्यूं कोई औरत, खुद से रूठ जाती है।। यूं ही नहीं झूल जाता, कोई गला फांसी पर। सावन की डोर जरूर, कहीं टूटती होगी ।। ©नेहा तोमर

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#विचार #Health  तुम्हें समझाने के लिए, शब्द कहां से लाऊं?
क्या इतना काफी नहीं, हम मार जायेगे आपकी यादों में।

©नेहा तोमर

#Health

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