देर कर दी तुमने हमें ढूंढने में
अगर मिलते पहले तो कोई पाबन्दी न होती
करते शान से तुमसे बेइंतहा मोहब्बत
न होती कोई बंदिशे, न होता समाज का डर
न होती कोई झिझक, न होती कोई फिकर
बस तुम और हम, और हमारे बेशुमार ज्जबात
क्या तुम समझ पाओगे, हमे या हमारी खामोशी को
शायद समझ जाओ, या शायद समझना न चाहो
कभी सोचते थे हम कि ऐसे कैसे प्यार हो जाता है
मगर आज समझ आ गया, प्यार तो ऐसे ही हो जाता है
प्यार तो वो खुशबू है, जो दूर से भी अपने होने का एहसास कराती हैं
अधूरे ज्जबात ,एक शायरा की कलम से
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here