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दोस्तो लिखना पसन्द है, तो लिखता रहता हूँ। ज्यादा कुछ आता नही बस हल्की फुल्की शायरी करता हूँ। पसन्द आए ना आए कृपया कमेंट कर के जरूर बताए
दीद-ए-बेख़बाब को इंतजार किसका है इन टूटती हुई सांसों पे उधार किसका है गर ताजमहल निशानी है सच्चे इश्क़ की तो यह खंडहर सा मज़ार किसका है हर आस्तीन में चमकता ख़ंजर छुपा है मुद्दा यह है के आज शिकार किसका है ताला लगा है और चाबी की ख़बर नही यह बजूद मेरा गिरफ्तार किसका है हर शख़्स तेरी जान लेने पर आमादा है "क़ासिद" तू बता तू गुनहगार किसका है @विवेक ©vivek netan
vivek netan
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हमनें उसके इश्क़ में क्या खूब मंजर देखें जो उसे दिए थे तोहफ़े रक़ीब के घर देखें मुझे तस्वीर ना दी जिसने बदनामी के डर से आज उनके ही घर सफ़-ए-मुसव्विर देखें जो मुझे कहते थे इश्क़ दरमां है हर मर्ज का मैंने उनकी नब्ज़ थामे हुए चारागार देखें मेरे क़त्ल की तोहमत लगा दी जमाने पर जिसने थामा उन्हीं की आस्तीन में ख़ंजर देखे तशवीश-ए-सनम में जार जार रोते थे कभी मेरी मयत के वक़्त उनके होंठो पर तरन्नुम देखे ©vivek netan
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अव्वल दर्जे के आईना-गर भी तब हार मान बैठे जो दिल का दर्द दिखा दे हम वो आईना मांग बैठे (आईना-गर : आईना बनाने वाला) ©vivek netan
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