मुकम्मल है जिंदगी और मुकाम पर खड़ी है,,
चाहते हैं हम जिस किसी को वो किसी के "एहसान" तले दबी है,,
यूं तो कहां मैंने भी उसको एक बार एहसान फरामोश बन जा तू मेरे लिए,,
पर कहती है मोहब्बत तो मैं तुमसे ही करूंगी ,,
पर यह " एहसान अदाई" वाली फितरत मुझे वसीयत में मेरे "पुरखों" से मिली हैं...
✍️✍️सन्नी मलिक
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