Classical gautam

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Trained Classical Singer & Musician WhatsApp -9760502068 ॥स्वरमयी हो संगीत अपना स्वरमयी निनाद रहे॥ Join 🤗"Ninaad" Online Riyaaaz Session Based on Hindustani Vocal Music. ...... ☎️9760502068 Hurry Up...... Insta Id-,Gautammusical Facebook/Youtube /Smule/Starmaker -Classicalgautam (Syllabus) 1-Morning Riyaaz, 2-Raag Introduction (10 Thaats-approx 50 Raagas) 3-Swar Vistar, 4-Chota Khyaal 5-100 Hindi Songs Notations 6-Murchhna, 7-Merukhand 8-Aalap & Taan 9-  Variations (Khatka,meend,gamak,murkiya) Etc.

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 'गज़ल'
फारसी या उर्दू में प्रेंम विषयक काव्य गीत
 'गज़ल' कहलाती है।
गज़ल अरबी का शब्द है। 
ग़ज़ल में प्रेंम भावनाओं का चित्रण होता हैं। 
गज़ल ऐसी पद्यात्मक रचना होती है, 
जिसमें नायिका के सौन्दर्य एवं उसके प्रति उत्पन्न प्रेंम का वर्णन होता है।

गज़ल वही अच्छी होती है जिसमें असर और 
मौलिकता हो, 
जिसे पढ़ने वाला यह समझे कि यह उन्हीं की दिली बातों का वर्णन है। 
आओ यहां गहन प्रकाश डाले 
मतला(उदय)–ग़ज़ल के पहले शेर को मतला कहा जाता है .
मक्ता (अस्त)–गजल के अन्तिम शेर को मक्ता कहा जाता है ।

प्रायः ग़ज़ल का हर शेर स्वयं में पूर्ण होता है, इसके दो बराबर टुकड़े होते है। 
जिसको 'मिसरा' कहते हैं।
हर शेर के अन्त में जितने शब्द बार-बार आएँ उनको 'रदीफ' कहा जाता है 
'रदीफ' के पहले के एक ही आवाज वाले तुकान्त शब्दों को
'काफिया' कहते है।
उदाहरण–होठों से छु लो तुम,
मेरा गीत अमर कर दो।
इसमें अमर कर दो'- रदीफ है और 'गीत' काफिया है।

©Classical gautam (Pandit)

'गज़ल' फारसी या उर्दू में प्रेंम विषयक काव्य गीत 'गज़ल' कहलाती है। गज़ल अरबी का शब्द है। ग़ज़ल में प्रेंम भावनाओं का चित्रण होता हैं। गज़ल ऐसी पद्यात्मक रचना होती है, जिसमें नायिका के सौन्दर्य एवं उसके प्रति उत्पन्न प्रेंम का वर्णन होता है। गज़ल वही अच्छी होती है जिसमें असर और मौलिकता हो, जिसे पढ़ने वाला यह समझे कि यह उन्हीं की दिली बातों का वर्णन है। आओ यहां गहन प्रकाश डाले मतला(उदय)–ग़ज़ल के पहले शेर को मतला कहा जाता है . मक्ता (अस्त)–गजल के अन्तिम शेर को मक्ता कहा जाता है । प्रायः ग़ज़ल का हर शेर स्वयं में पूर्ण होता है, इसके दो बराबर टुकड़े होते है। जिसको 'मिसरा' कहते हैं। हर शेर के अन्त में जितने शब्द बार-बार आएँ उनको 'रदीफ' कहा जाता है 'रदीफ' के पहले के एक ही आवाज वाले तुकान्त शब्दों को 'काफिया' कहते है। उदाहरण–होठों से छु लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो। इसमें अमर कर दो'- रदीफ है और 'गीत' काफिया है। ©Classical gautam (Pandit)

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ye tajraba bhi karun ye bhi gham uthaun main ki khud ko yaad rakhun us ko bhul jaun main

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#chocolateday  किसने कहा पगली तुझसे कि  
हम तेरी खूबसूरती पर मरते है
हम तो उस चॉकलेटी अदा पर मरते है
जिस अदा से तू हमें देखती है

Happy Chocolate Day

©Classical gautam

#chocolateday

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#roseday  कभी चांदनी कभी  महताब हो तुम 
क्या-क्या कहूं तुम्हे , लाजवाब हो तुम 
चमक बिखेरे रंग ए सुर्ख धूप में ,
खिलता महकता गुलाब हो तुम 
Happy Rose Day

©Classical gautam

#roseday

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