कुछ गहरा रहा था!तुम्हारे अौर मेरे भीतर ,पनपने लगा था एक रिश्ता! किसी अंकुर से फूटे पौधे की तरह! हर तरफ फैल ने लगी थी, हमारे रिश्ते की हरियाली! मुझे लगता है, एक बागवा बनने लगा है, तुम्हारे और मेरे बीच! आओ मिल कर इसे सीचते है! या मिल कर इसे उजाड़ देते हैं, लेकिन इन दोनों ही रास्तों के लिए हमारा मिलना जरूरी है!
©sangya arora
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