जिनसे रोज़ मिलना होता था अब,,
उनसे मुलाक़ात नहीं होती,
अरे मुलाक़ात तो छोड़िये अब तो
बात भी नहीं होती,
वो जिन्हे देखे बगैर एक पल भी न
कटता था,
अब अरसे के बाद भी न जाने क्यों
मिलने कि तलब नहीं होती,,
मेरा इश्क़ और मै दोनों अब समझ चुके है
कि हर किसी मे सच्चे प्यार कि समझ
नहीं होती,,
अरे जाने दीजिये अब क्या कहे अल्फाज़ ए दिल
सबसे,,
दिन तो कट जाते है जनाब पर उनकी याद न आये
ऐसी कोई रात नहीं होती..
अब उनसे मुलाक़ात नहीं होती।...............।
©Vibhor Srivastava
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