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लेखक नहीं हूँ लेकिन लिखता हूँ।
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जेब खाली होने पर भी कभी बिखरते नहीं देखा, अमीरी तो बहुत देखी लेकिन बाप सा अमीर नहीं देखा।।
विवेक पंडित
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तेरी जहन में उतर जाऊंगा, महसूस तो कर के देख लो मैं भी लेखक बन जाऊंगा, तुम पाठक बन कर तो देख लो।
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कलम जब मनुष्य मनुष्य होने के बजाय सभ्य होने लगे तो उसके पशु होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
5 Love
भस्म शिव का और शिव पूरी दुनिया का पोशाक हैं।
मनुष्य का अंत और शिव की शुरुआत दोनों ही श्मशान हैं।
23 Love
रोशनी की तलाश जारी हैं शहर में हाकिम की तलाश जारी हैं सब कुछ बिखरा पड़ा हैं यहां सुना हैं मैंने लोकतंत्र की तलाश जारी हैं।
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