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assistant professor ,writer , https://youtube.com/channel/UCb5AMc1NfmoXmB7sB7MY13w
Dr jyotsna singh Rajawat
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निस्वार्थ प्रेम माँ है ईश्वर का अंश माँ है हर पल का ख्या़ल माँ है हर सबाल का ज़बाव माँ है माँ का कोई नहीं सानी सारी दुनिया है दीवानी। ©Dr jyotsna singh Rajawat
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अष्ट भुजाओं वाली माँ, नव स्वरूपों वाली माँ, भक्तों का संरक्षण करने वाली, शत्रुओं का दमन करने वाली धरा से दुष्टों का संघार करो न्याय,सत्य,का आधार बनों। दृष्टिपात करो दुष्टों की जिव्हा पर जहर उगलते कड़वे वचनों पर। करते हैं जो अपमान तुम्हारा मिटा दो उनका सर्वस्व सहारा। अपने होने का अहसास कराओ दिव्य दृष्टि का दीप हर दिल में जलाओ।। ©Dr jyotsna singh Rajawat
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शिक्षक,शिक्षा का न करे व्यापार भेदभाव न हो किसी संग, मिले सभी को ज्ञान का संस्कार राष्ट्र भाव का चढ़े रंग अनेकता में एकता का हो व्यवहार।। ©Dr jyotsna singh Rajawat
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जो था सब हमारा ही ख्याल था, हर बात में उन पर ही सबाल था इधर चाहत का बेहिसाब नशा था उधर दिखावेपन का झूठा बबाल था। समय की परत चढ़ती रही ख्याल पर मिला जबाव खुद से हर सबाल पर बिना हिसाब के उतर गया सारा नशा अब मन नहीं भटकता चाहत के बवाल पर।। ज्योत्स्ना ©Dr jyotsna singh Rajawat
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