Gyaneshwar Anand

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तड़प क्यों उसकी मुहोब्बत में खींच लाई है। बता दिया अगर तो ये प्यार की रुशवाई है।। ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" किरतपुरी ©Gyaneshwar Anand

#शायरी #WallTexture  तड़प क्यों उसकी मुहोब्बत में खींच लाई है।
बता दिया अगर तो  ये  प्यार की रुशवाई    है।।            
 ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" किरतपुरी

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जय हिन्द 🙏 ©Gyaneshwar Anand

#विचार #dryleaf  जय हिन्द
🙏

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#dryleaf

5 Love

कविता "धिक्कार है उन बेटों को" कठोर हृदय बनते जा रहे हैं, इस भारत माँ की भूमि पर। सरवन से लाल भी पैदा हुए, इस भारत मां की भूमि पर। धिक्कार है ऐसे बेटों को, जो मां बाप की सेवा,कर ना सके। धिक्कार है उन बेटों को, जो मां-बाप की संपत्ति हड़प गए। कितने वृद्धा आश्रम भारत में, भी देखो कैसे हैं खड़े हुए। धिक्कार है उन बेटों को, जिनके माता-पिता वहां पड़े हुए। इतने ऊंचे उड़ रहे हैं जो, आकाश को छूना चाहते हैं। वो क्या जाने ऐसे बेटे, सबकी नज़रों से गिर जाते हैं। मां बाप को दुख देकर वो, धरती पर कलंक बन जाते हैं। कितने स्वार्थी बनते हैं, यह लोग यहां इस धरती पर। इतना धन इकट्ठा करके भी, मां बाप को टुकड़ा दे न सके। धिक्कार है ऐसे बेटों को, जो मां बाप की सेवा कर न सके। यह जानते हुए भी के सब कुछ, छोड़ के यहां से जाना है। संसार में सब कुछ देखकर भी, कर्मों से बना अनजाना है। फिर भी अत्याचार करे वो, कैसी यह धर्म की मर्यादा है। "ज्ञानेश" इस निर्मम रीति से, बढ़ रहा क्रोध कुछ ज्यादा है।      रचनाकार ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" राजस्व एवं कर निरीक्षक किरतपुर (बिजनौर) सम्पर्क सूत्र 9719677533 Email id-gyaneshwar533@gmail.com ©Gyaneshwar Anand

 कविता  "धिक्कार है उन बेटों को"

कठोर हृदय बनते जा रहे हैं,
इस भारत माँ की भूमि पर।

सरवन से लाल भी पैदा हुए,
इस भारत मां की भूमि पर।

धिक्कार है ऐसे बेटों को,
जो मां बाप की सेवा,कर ना सके।

धिक्कार है उन बेटों को,
जो मां-बाप की संपत्ति हड़प गए।

कितने वृद्धा आश्रम भारत में,
भी देखो कैसे हैं खड़े हुए।

धिक्कार है उन बेटों को,
जिनके माता-पिता वहां पड़े हुए।

इतने ऊंचे उड़ रहे हैं जो,
आकाश को छूना चाहते हैं।

वो क्या जाने ऐसे बेटे,
सबकी नज़रों से गिर जाते हैं।

मां बाप को दुख देकर वो,
धरती पर कलंक बन जाते हैं।

कितने स्वार्थी बनते हैं,
यह लोग यहां इस धरती पर।

इतना धन इकट्ठा करके भी,
मां बाप को टुकड़ा दे न सके।

धिक्कार है ऐसे बेटों को,
जो मां बाप की सेवा कर न सके।

यह जानते हुए भी के सब कुछ,
छोड़ के यहां से जाना है।

संसार में सब कुछ देखकर भी,
कर्मों से बना अनजाना है।

फिर भी अत्याचार करे वो,
कैसी यह धर्म की मर्यादा है।

"ज्ञानेश" इस निर्मम रीति से,
बढ़ रहा क्रोध कुछ ज्यादा है।
     रचनाकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश"
राजस्व एवं कर निरीक्षक
किरतपुर (बिजनौर)
सम्पर्क सूत्र 9719677533
Email id-gyaneshwar533@gmail.com

©Gyaneshwar Anand

कविता "धिक्कार है उन बेटों को" कठोर हृदय बनते जा रहे हैं, इस भारत माँ की भूमि पर। सरवन से लाल भी पैदा हुए, इस भारत मां की भूमि पर।

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#आल

#आल इण्डिया मुशायरे में मेरी ग़ज़ल

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ग़ज़ल "भूखे को भूखा छोड़के नेताओं की मदद।" नुकसान से भी बढ़के, ये नुकसान हो गया। शैतान जैसा आज का, इंसान हो गया।। सादा मिजाज़ शख़्स पे, करता था रोज़ तंज़। उंगली उठी जो खुद पे, परेशान हो गया।। शादी में देख-देख के इतने रिवाज़ो रस्म। इंसानियत का नाम, पशेमान हो गया।। भूखे को भूखा छोड़के नेताओं की मदद। ये दान आप बोलिए क्या दान हो गया।। "ज्ञानेश", अपने जिस्म की, करना नुमाइशें। अफसोस ये रिवाज़ भी, अब शान हो गया।। ग़ज़लकार ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" राजस्व एवं कर निरीक्षक किरतपुर (बिजनौर) सम्पर्क सूत्र- 9719677533 Email id- gyaneshwar533@gmail.com ©Gyaneshwar Anand

#शायरी  ग़ज़ल
 "भूखे को भूखा छोड़के नेताओं की मदद।"

नुकसान से भी बढ़के, ये नुकसान हो गया।
शैतान जैसा आज का, इंसान हो गया।।

सादा मिजाज़ शख़्स पे, करता था रोज़ तंज़।
उंगली उठी जो खुद पे, परेशान हो गया।।

शादी में देख-देख के इतने रिवाज़ो रस्म।
इंसानियत का नाम,  पशेमान हो गया।।

भूखे को भूखा छोड़के नेताओं की मदद।
ये दान आप बोलिए क्या दान हो गया।।

"ज्ञानेश", अपने जिस्म की, करना नुमाइशें।
अफसोस ये रिवाज़ भी, अब शान हो गया।।

       ग़ज़लकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश"
राजस्व एवं कर निरीक्षक
किरतपुर (बिजनौर)
सम्पर्क सूत्र- 9719677533
Email id- gyaneshwar533@gmail.com

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ग़ज़ल "भूखे को भूखा छोड़के नेताओं की मदद।" नुकसान से भी बढ़के, ये नुकसान हो गया। शैतान जैसा आज का, इंसान हो गया।। सादा मिजाज़ शख़्स पे, करता था रोज़ तंज़। उंगली उठी जो खुद पे, परेशान हो गया।। शादी में देख-देख के इतने रिवाज़ो रस्म। इंसानियत का नाम, पशेमान हो गया।। भूखे को भूखा छोड़के नेताओं की मदद। ये दान आप बोलिए क्या दान हो गया।। "ज्ञानेश", अपने जिस्म की, करना नुमाइशें। अफसोस ये रिवाज़ भी, अब शान हो गया।। ग़ज़लकार ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" राजस्व एवं कर निरीक्षक किरतपुर (बिजनौर) सम्पर्क सूत्र- 9719677533 Email id- gyaneshwar533@gmail.com ©Gyaneshwar Anand

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दो अश्आर सच कहने की ताक़त भी ना रही ज़माने में। है वो कितना झूठा है ये भी तो जानता हूं मैं।। खुशामदी के दौर में, उदास है कोई "ज्ञानेश"। दस्तूर ये कैसा आया है, नहीं जानता हूं मैं।। ©Gyaneshwar Anand

#Darknight  दो अश्आर
सच कहने की ताक़त भी ना रही ज़माने में।
है वो कितना झूठा है ये भी तो जानता हूं मैं।।

खुशामदी के दौर में, उदास है कोई "ज्ञानेश"।
दस्तूर ये कैसा आया है, नहीं जानता हूं मैं।।

©Gyaneshwar Anand

#Darknight

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