बचपन से लेकर अब तक.
बहुत प्यारा सफ़र रहा.
दीदी कहूं या मां इसका फर्क समझ ना पाया.
₹10 में आज भी गोलगप्पे आते हैं मगर अब ₹10 पकड़ा ने वाले हाथ नजर नहीं आते हैं.
बचपन के साथ गोलगप्पे का सफर भी छुट गया.
फासलों ने सब कुछ बदल दिया,रिश्ते बदले, जज्बात बदले. मगर वक्त भी एक चीज बदल ना पाया बहन का प्यार.
याद आती है मगर बता नहीं सकते.
मिलना चाहते हैं. समय के चक्र में घूम के रह जाते हैं.
आज जन्मदिन है आपका.
किस तरह शुक्रिया अदा करूं जो आपने मेरे लिए किया. शायद अगले जन्म में.
बस एक दुआ करूंगा:
मेरे सारे सुख तेरे
तेरे सारे दुख मेरे
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं (मोटू)
©Rohit Romun
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