कुछ दिन पहले हम कुछ दोस्त हुआ करते थे,
एक दूसरे के जिगरी हमदर्द हुआ करते थे।
नज़र लग गयी किसी की हमारे इस दोस्ताने को,
माज़ी हुआ, जो मिसालें देते थे लोग कल तक इस ज़माने को।
आज मैं मुस्लिम बन गया और वह बन गया हिन्दू,
दोस्ती के बीच जहर घोल गए कुछ राजनीतिक बिन्दु।
अब कल से लोग हमारी दोस्ती पर उंगलियाँ उठाएंगे,
हमारी अपनी दोस्ती में भरोसा कम था महफ़िल में इस बात की खिल्लियाँ उड़ाएंगे।
जियाउल हक
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