Thakur Atul Kumar Singh

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love to motivate people for noble cause

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#विचार #responsibility  it's really easy to skip the trust and responsibilities and give less priority to our work but it really defines your values, commitment and the habits that your learnt from your background, family and friends and surely likewise it will make your future

©Thakur Atul Kumar Singh

#responsibility

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दरिया तेरी अब खैर नही । बूंदो ने बगावत कर ली है। नादान ना समझ बुजदिल इनको। लहरो ने बगावत कर ली है। हम परवाने है। मौत समा । मरने का किसको ख़ौफ यहाँ। रे तलवार तुझे झुकना होगा। गर्दन ने बगावत कर ली है। ©Thakur Atul Kumar Singh

#विचार #Bagawat  दरिया तेरी अब खैर नही ।
बूंदो ने बगावत कर ली है।
नादान ना समझ बुजदिल इनको।
लहरो ने बगावत कर ली है।
हम परवाने है। मौत समा ।
मरने का किसको ख़ौफ यहाँ।
रे तलवार तुझे झुकना होगा।
गर्दन ने बगावत कर ली है।

©Thakur Atul Kumar Singh

#Bagawat

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#विचार #tgoughts  if u stand behind me 
"i will PROTECT u"
if u stand beside me
"i will RESPECT u"
but
if u will stand against me
"i will not show any MERCY"

©Thakur Atul Kumar Singh

#tgoughts

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#विचार #गुण  अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।
पराक्रमश्चबहुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥

अर्थात् : आठ गुण मनुष्य को सुशोभित करते है – बुद्धि, अच्छा चरित्र, आत्म-संयम, शास्त्रों का अध्ययन, वीरता, कम बोलना, क्षमता और कृतज्ञता के अनुसार दान।

©Thakur Atul Kumar Singh

#गुण

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श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन , दानेन पाणिर्न तु कंकणेन , विभाति कायः करुणापराणां , परोपकारैर्न तु चन्दनेन || श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन , दानेन पाणिर्न तु कंकणेन , विभाति कायः करुणापराणां , परोपकारैर्न तु चन्दनेन।। अर्थात् : कानों की शोभा कुण्डलों से नहीं अपितु ज्ञान की बातें सुनने से होती है | हाथ दान करने से सुशोभित होते हैं न कि कंकणों से | दयालु / सज्जन व्यक्तियों का शरीर चन्दन से नहीं बल्कि दूसरों का हित करने से शोभा पाता है | ©Thakur Atul Kumar Singh

 श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन , दानेन पाणिर्न तु कंकणेन , विभाति कायः करुणापराणां , परोपकारैर्न तु चन्दनेन ||
श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन , दानेन पाणिर्न तु कंकणेन , विभाति कायः करुणापराणां , परोपकारैर्न तु चन्दनेन।।      अर्थात् :







कानों की शोभा कुण्डलों से नहीं अपितु ज्ञान की बातें सुनने से होती है | हाथ दान करने से सुशोभित होते हैं न कि कंकणों से | दयालु / सज्जन व्यक्तियों का शरीर चन्दन से नहीं बल्कि दूसरों का हित करने से शोभा पाता है |

©Thakur Atul Kumar Singh

#विचार

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#विचार #geetagyan  नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)
हिंदी अनुवाद: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है।
English Translation: Weapons cannot shred the soul, nor can fire burn it. Water cannot wet it, nor can the wind dry it.

©Thakur Atul Kumar Singh

#geetagyan

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