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तुम वो नूर हो, मेरी तश्वीर के तुम दूर हो, मेरी तकदीर से। राजीव रंजन मिश्र 😊
Rajeev Ranjan Mishra
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दो अल्फाज कहता हूं मंज़ूर करना मेरे तकदीर के क़लम की गल्ती को दूर करना, मेरे हाथों की नमी तो बुझने वाली है मेरे संग दो पल बैठकर तस्सव्वुर जरुर करना। - राजीव रंजन मिश्र
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मखमली चादर में उलझे हो कफन सूती होगी आज जीस मां को घर से बाहर निकलते हो एक जमाने में तुम्हारी गंदगी भी वही धोती होगी। - राजीव रंजन मिश्र
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