Shubham Mishra

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White जो यूनिवर्सिटी बनी थी ज्ञान देने के लिए, देश के तलवार को इक म्यान देने के लिए। बदल रहा है काम इसका पश्चिम की आड़ में, लोग जाने लगे यहां वासना की जुगाड़ में। मां बाप के स्वाभिमान से गूंथी हुई चोटियां , घर से दूर पढ़ने आई गांव शहर की बेटियां । जिसको यह देश दुर्गा देवी समझता है , बहू बनने पर जिन्हें लक्ष्मी कहता है। कितनों से लड़ कर मां बाप शहर भेजते हैं, मेरी बेटी पर भरोसा है यही सबसे कहते हैं । निज संस्कार भूलकर वो आधुनिक बनने लगी, दिखावे के चक्कर में छोटे कपड़े पहनने लगी। पढ़ाई को छोड़ लड़के सीटियां बजाने लगे , बाइक पर बैठाकर इन्हें शहर घुमाने लगे। वो सब कुछ छोड़ अलग दुनिया में जीने लगे, Girlfriend के साथ शराब सिगरेट पीने लगे। जवानी के नशे में चूर लड़के अंधे हो गए, लड़कियों को रूम पर लाने के धंधे हो गए। ये बेटियां भी बड़ी समझती हैं अपने आपको, याद नहीं करती कभी बूढ़े मां बाप को। It's my life अपने मन में सोचने लगीं , तभी तो चंद पैसों पर जिस्म बेचने लगीं। यदि पैसे की तंगी है तो दो रोटी कम खाओ तुम, केवल पापा के पैसे में अपना काम चलाओ तुम। अरे भारत की बेटी हो ऐसे न लाचार बनो, सीता या अनुसुइया का फिर से तुम किरदार। चुनो, शक्ति को धारण करके फिर बन जाओ दुर्गा माई। भक्ति में डूबो और फिर कहलाओ मीरा बाई, हवस मिटाने के खातिर फिर तुमको कोई देखे तो। स्वयं के लिए फिर से तुम बन जाओ लक्ष्मी बाई। ©Shubham Mishra

#मोटिवेशनल #GoodNight  White जो यूनिवर्सिटी बनी थी ज्ञान देने के लिए,
देश के तलवार को इक म्यान देने के लिए।
बदल रहा है काम इसका पश्चिम की आड़ में, 
लोग जाने लगे  यहां वासना की जुगाड़ में। 
मां बाप के स्वाभिमान से गूंथी हुई चोटियां ,
घर से दूर पढ़ने आई गांव शहर की बेटियां ।
जिसको यह देश दुर्गा देवी समझता है ,
बहू बनने पर जिन्हें लक्ष्मी कहता है। 
कितनों से लड़ कर मां बाप शहर भेजते हैं, 
मेरी बेटी पर भरोसा है यही सबसे कहते हैं ।
निज संस्कार भूलकर वो आधुनिक बनने लगी, 
दिखावे के चक्कर में छोटे कपड़े पहनने लगी। 
पढ़ाई को छोड़ लड़के सीटियां बजाने लगे ,
बाइक पर बैठाकर इन्हें शहर घुमाने लगे।
वो सब कुछ छोड़ अलग दुनिया में जीने लगे, 
Girlfriend के साथ शराब सिगरेट पीने लगे। 
जवानी के नशे में चूर लड़के अंधे हो गए, 
लड़कियों को रूम पर लाने के धंधे हो गए।
ये बेटियां भी बड़ी समझती हैं अपने आपको, 
याद नहीं करती कभी बूढ़े मां बाप को। 
It's my life अपने मन में सोचने लगीं ,
तभी तो चंद पैसों पर जिस्म बेचने लगीं। 
यदि पैसे की तंगी है तो दो रोटी कम खाओ तुम, 
केवल पापा के पैसे में अपना काम चलाओ तुम। 
अरे भारत की बेटी हो  ऐसे न लाचार बनो,
सीता या अनुसुइया का फिर से तुम किरदार। चुनो,
शक्ति को धारण करके फिर बन जाओ दुर्गा माई।
भक्ति में डूबो और फिर कहलाओ मीरा बाई, 
हवस मिटाने के खातिर फिर तुमको कोई देखे तो। 
स्वयं के लिए फिर से तुम बन जाओ लक्ष्मी बाई।

©Shubham Mishra

#GoodNight University

14 Love

White किया सदा ही शिक्षा का आह्वान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने । किया नुकसान पन्डितों, किया नुकसान पन्डितों ने। देश की आजादी में भी ये कदम से कदम मिलाए, पड़ी जरूरत जब भी सबसे पहले नजर ये आए। गोरे अंग्रेजों को पहले गोली जिसने मारी, इसमें भी हैं मंगल पांडे चंद्रशेखर तीवारी। फिर भी नहीं कहता कि किया अहसान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने। हाथ में जब भी देश मिला तब की देखो खुद्दारी, पंडित नेहरू लालबहादुर या हों अटल बिहारी, घोटाले चोरी में इनका नाम कभी न आया, परमाणु सम्पन्न तिरंगा दुनिया में लहराया। अपने दम पर दुनिया में कमाया,नामोनिशान पंडितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने.......2 ©Shubham Mishra

#कविता #GoodNight  White किया सदा ही शिक्षा का आह्वान पन्डितों ने, 
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने ।
किया नुकसान पन्डितों, किया नुकसान पन्डितों ने। 
देश की आजादी में भी ये कदम से कदम मिलाए,
पड़ी जरूरत जब भी सबसे पहले नजर ये आए।
गोरे अंग्रेजों को पहले गोली जिसने मारी, 
इसमें भी हैं मंगल पांडे चंद्रशेखर तीवारी। 
फिर भी नहीं कहता कि किया अहसान पन्डितों ने,
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, 
किया नुकसान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने।
हाथ में जब भी देश मिला तब की देखो खुद्दारी, 
पंडित नेहरू लालबहादुर या हों अटल बिहारी, 
घोटाले चोरी में इनका नाम कभी न आया, 
परमाणु सम्पन्न तिरंगा दुनिया में लहराया।
अपने दम पर दुनिया में कमाया,नामोनिशान पंडितों ने,
मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने,
किया नुकसान पन्डितों ने.......2

©Shubham Mishra

#GoodNight पंडित जी

14 Love

White जो भूख मिटाने के खातिर देते बेेटी की कुर्बानी हैं, उनकी नपुंसकता की ये सबसे बड़ी निशानी है, देश में सारे देशभक्त है पर कुछ पर शक होता है, मुग़लों अंग्रेज़ों से पैदा कुछ ये नमक हरामी है। ©Shubham Mishra

#शायरी #GoodNight  White  जो भूख मिटाने के खातिर देते बेेटी की कुर्बानी हैं,
उनकी नपुंसकता की ये सबसे बड़ी निशानी है,
देश में सारे देशभक्त है पर कुछ पर शक होता है,
मुग़लों अंग्रेज़ों से पैदा कुछ ये नमक हरामी है।

©Shubham Mishra

#GoodNight sad

15 Love

White पहले दिन से ही चुपके से , मैं उसको देखा करता था । वो धीरे से देखे मुझको , इतने पर उसपे मरता था ।। सहमी सुलझी शर्माती थी , सखियों के संग इतराती थी । कंगन काजल बिंदियां से सजी, सपनों में मेरे आती थी ।। पापा की प्यारी गुड़िया थी , मम्मी की बिटिया रानी थी। भाई की नटखट बहना थी, मेरी वो प्रेम कहानी थी ।। अंत दिनों में कालेज के , दरवाजा दिल का खोल दिया । बातों बातों में उससे मैं , प्रेमिल भाषा को बोल दिया ।। वो डरी हुई शर्मायी थी , फिर भी मुझको समझायी थी। घरवालों के चोरी चुपके , कुछ दिन मुझसे बतियायी थी ।। अब क्या बोलूं कैसे बोलूं , किस्मत जब मेरी रूठ गयी‌‌ । भाई को उसके पता चला , बातें भी उससे छूट गयी।। उसकी यादों की दुनिया में , दिन रात मैं खोया रहता हूं ‌। नींदों के बिना ही रातों में , जगकर मैं सोया रहता हूं‌ ।। उम्मीदों के पर्वत पर चढ़ , दिखावटी खुशियां बांट रहा। इक दिन मुझको मिल जायेगी , यह सोचके दिन मैं काट रहा ।। ©Shubham Mishra

#कविता #GoodNight  White पहले दिन से ही चुपके से ,
मैं उसको देखा करता था ।
वो धीरे से देखे मुझको ,
इतने पर उसपे मरता था ।।
सहमी सुलझी शर्माती थी ,
सखियों के संग इतराती थी ।
कंगन काजल बिंदियां से सजी,
सपनों में मेरे आती थी ।।
पापा की प्यारी गुड़िया थी ,
मम्मी की बिटिया रानी थी।
भाई की नटखट बहना थी,
मेरी वो प्रेम कहानी थी ।।
अंत दिनों में कालेज के ,
दरवाजा दिल का खोल दिया ।
बातों बातों में उससे मैं ,
प्रेमिल भाषा को बोल दिया ।।
वो डरी हुई शर्मायी थी ,
फिर भी मुझको समझायी थी। 
घरवालों के चोरी चुपके ,
कुछ दिन मुझसे बतियायी थी ।।
अब क्या बोलूं कैसे बोलूं ,
किस्मत जब मेरी रूठ गयी‌‌ ।
भाई को उसके पता चला ,
बातें भी उससे छूट गयी।।
उसकी यादों की दुनिया में ,
दिन रात मैं खोया रहता हूं ‌।
नींदों के बिना ही रातों में ,
जगकर मैं सोया रहता हूं‌ ।। 
उम्मीदों के पर्वत पर चढ़ ,
दिखावटी खुशियां बांट रहा।
इक दिन मुझको मिल जायेगी ,
यह सोचके दिन मैं काट रहा ।।

©Shubham Mishra

#GoodNight sad

10 Love

White बैठकर बेवफाई के आहों तले उसके जाने का मातम मनाता रहा सुनने वाला बचा था मुझे न कोई फिर अकेले ही मैं गीत गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... सुुबह में शाम में डूबता जाम में जिंदगी जी रहा था मैं गुमनाम में कोई पागल कहे और अवारा कोई सबको सुनता और आंसू बहाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... मैं था राही भटक कर कहां खो गया लोग कहते हैं मै क्या से क्या हो गया छिप रहीं मेरी चीखें जो बेबस बनीं उनको गीतों में लिखता और गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा... तेरी यादों में गिरते जो आंसू मेरे उनको इक इक संजोकरके गढ़ता रहा तेरे मिलने बिछड़ने के पत्रों को मैं रात भर जाग करके यूं पढ़ता रहा अपने गिरते हुए आंसुओं में भी मैं याद करके तुम्हें मुस्कुराता रहा सुनने वाला बचा था मुझे न कोई फिर अकेले ही मैं गीत गाता रहा गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा...... ©Shubham Mishra

#कविता #sad_shayari  White बैठकर बेवफाई के आहों तले
उसके जाने का मातम मनाता रहा
सुनने वाला बचा था मुझे न कोई 
फिर अकेले ही मैं गीत गाता रहा
गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा...
सुुबह में शाम में डूबता जाम में
जिंदगी जी रहा था मैं गुमनाम में
कोई पागल कहे और अवारा कोई 
सबको सुनता और आंसू बहाता रहा
गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा...
मैं था राही भटक कर कहां खो गया
लोग कहते हैं मै क्या से क्या हो गया
छिप रहीं मेरी चीखें जो बेबस बनीं
उनको गीतों में लिखता और गाता रहा
गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा...
तेरी यादों में गिरते जो आंसू मेरे
उनको इक इक संजोकरके गढ़ता रहा
तेरे मिलने बिछड़ने के पत्रों को मैं
रात भर जाग करके यूं पढ़ता रहा
अपने गिरते हुए आंसुओं में भी मैं
याद करके तुम्हें मुस्कुराता रहा
सुनने वाला बचा था मुझे न कोई 
फिर अकेले ही मैं गीत गाता रहा
गुनगुनाता रहा गुनगुनाता रहा......

©Shubham Mishra

#sad_shayari shubham mishra

9 Love

अपनी भूख के खातिर देते बेेटी की कुर्बानी है, उनके नपुंसकता की ये सबसे बड़ी निशानी है, देश में सारे देशभक्त है पर कुछ पर शक होता है, मुगलों अंग्रेजों से पैदा कुछ ये नमक हरामी हैं। ©Shubham Mishra

#शायरी  अपनी भूख के खातिर देते बेेटी की कुर्बानी है,
उनके नपुंसकता की ये सबसे बड़ी निशानी है,
देश में सारे देशभक्त है पर कुछ पर शक होता है,
मुगलों अंग्रेजों से पैदा कुछ ये नमक हरामी हैं।

©Shubham Mishra

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