White पहले दिन से ही चुपके से ,
मैं उसको देखा करता था ।
वो धीरे से देखे मुझको ,
इतने पर उसपे मरता था ।।
सहमी सुलझी शर्माती थी ,
सखियों के संग इतराती थी ।
कंगन काजल बिंदियां से सजी,
सपनों में मेरे आती थी ।।
पापा की प्यारी गुड़िया थी ,
मम्मी की बिटिया रानी थी।
भाई की नटखट बहना थी,
मेरी वो प्रेम कहानी थी ।।
अंत दिनों में कालेज के ,
दरवाजा दिल का खोल दिया ।
बातों बातों में उससे मैं ,
प्रेमिल भाषा को बोल दिया ।।
वो डरी हुई शर्मायी थी ,
फिर भी मुझको समझायी थी।
घरवालों के चोरी चुपके ,
कुछ दिन मुझसे बतियायी थी ।।
अब क्या बोलूं कैसे बोलूं ,
किस्मत जब मेरी रूठ गयी ।
भाई को उसके पता चला ,
बातें भी उससे छूट गयी।।
उसकी यादों की दुनिया में ,
दिन रात मैं खोया रहता हूं ।
नींदों के बिना ही रातों में ,
जगकर मैं सोया रहता हूं ।।
उम्मीदों के पर्वत पर चढ़ ,
दिखावटी खुशियां बांट रहा।
इक दिन मुझको मिल जायेगी ,
यह सोचके दिन मैं काट रहा ।।
©Shubham Mishra
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