सावन का उल्लास लिखूं या
हैं अंखियां पिय की आस लिखूं
जिनके वियोग दोउ नैना बरसें
उन्हें दूर लिखूं या पास लिखूं
सावन का.....
चमके दामिनि ,हिय आग लिखूं
या कोयल की कूक , विराग लिखूं
पिय मदमस्त है ,अपनी अटरिया
आए जिय ,फूटल भाग लिखूं
शुष्कआँखों में अश्क़ आते है
मन व्यथित उदास होता है
खून का हर कतरा मुरीद होता है
जब कोई सीमा पे शहीद होता है
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि उन 20 वीर जवानों को
जो आज हमारे बीच नहीं रहे
वाह रे अंतर्यामी ,तेरी लीला अपरम्पार
जिसे इंसान बचाये उसका तू करे उद्धार
सामंजस्य बिठाना जग को तू ही सिखाये
ये परित्याग करे जिस नारी का तू उसे बचाये
भ्रूण परीक्षण कराके जिसका ये निपात करे
तेरी महामारी 80 ,20 का अनुपात करे
ईश्वर देख रहा सब ,अपने कृत्यों का फल है
संभलो वक़्त के रहते वरना विनाश अटल है
बादल मेहरबां हुए भी तो इस कदर
एक एक बूंद को ढूंढा किये दरबदर
रिमझिम फुहारों से तन मन तरबतर हुआ
ये रूह तो प्यासी रही ,वो न मुत्तसिर हुआ
मुत्तसिर -प्रभावित
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