Alone कल अगर ना रहूँ सुनने को तुम्हे, तुम्हारे पास मैं...??
तो, इक काम छोटा सा कर लेना,
लिखा है मैंने जो भी अबतक...
तुम उसे पढना,
और सरेआम कर देना...
जो कल तलक़,
समझ ना सके थे न मुझे तुम...
तुम पढना मुझे,
और समझ लेना...
जो महसूस होगी कमी मेरी,
उठाना क़लम और पैग़ाम मुझे लिख देना...
रहूँगा दूर तुझसे मैं,
तु पास ख़ुद के समझ लेना....
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