preety sankritayan

preety sankritayan

"चन्द लम्हों में सिमटी है ज़िन्दगी परत दर परत खुशी और ग़म का छलावा है जुस्तजू लिए नादान दिल कुछ यूँ बढ़ चला है.. मनचला बहुत है.. मगर कदमों 👣 पर हुकूमत सिर्फ हमारा है...! "

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