एक रात भयानक कुछ इस तरह दस्तक दे रही होगी
जब हवस के पंजो में,तुम्हारे घर की इज्जत भी होगी।
तब समझोगे उन पर भी,क्या-क्या कैसे बीती होगी
जिनकी बेटियां भी उस दरिंदगी का शिकार रही होगी।
तब उनका भी कलेजा फटा होगा,सांसे भी थमी होगी
जिनकी गोद में खेलकर वो नन्ही परी से बडी हुई होगी।
देखा था जब उन्होंने अपनी, लाडली को ऐसे बेहाल में
एक बेनामी दर्द भरी जंग में ,मौत से वो बेटी लड़ी होगी।
लफ्ज़ो के सागर सिमट गए थे ये मंजर बयान करने में
कितना दर्द हुआ उस माँ को,जिस माँ की गोद उजड़ी होगी।
अब भी देर नही हुई है हमें ,एक नयी पहल करनी होगी
औरों के घर इज्जत को अपनी इज्जत समझनी होगी।
उस फैली गंदी सोच को,इस अच्छी सोच से बदलनी होगी
जिनसे है हमारी दुनिया रोशन,उनकी रक्षा हमें करनी होगी।
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