बीती जा रही है ज़िन्दगी हम भी बिताये जा रहे है, जबसे लगी तेरे हाथो में मेहँदी,हम अपने आप से निभाये जा रहे है।
तू अपने हिस्से का इश्क़ ले गया मैं अपने हिस्से का तेरी
यादोंकी जायदाद हम लुटाये जा रहे है।
रंग ऋतु बहार लाये है,किसी के जाने पे किसी का तार लाये है।
हर बादल छटने के बाद यह खुला आसमान लाये है।
लगता है,इश्क़ फिरसे होरहा है,कैसा यह पैगाम लाये है।
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