Dushyant Joshi

Dushyant Joshi Lives in Ghaziabad, Uttar Pradesh, India

10/10/1997

dushyantjoshi606@gmail.com

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तूफान में कश्तिया और अहंकार में हस्तियां डूब जाती है।.. जीते जी इंसान की प्यास कभी नही बुझती इसलिए अस्थियां नदी में बहाई जाती हैं

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"व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता है तो वह भी देवतुल्य बन जाता है। विश्वास के जाग्रत होते ही आत्मा में छिपी हुई शक्तियां प्रस्फुटित हो उठती हैं। हमारे अंदर के श्रेष्ठ विचार महत्वपूर्ण कार्य के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसके विपरीत अपने प्रति अविश्वास से तो शक्ति के स्रोत सूख जाते हैं और लोग भंडार के होते हुए भी दीन तथा दरिद्र ही बने रहते हैं।" 🌹

#विचार  "व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता है तो वह भी देवतुल्य बन जाता है। विश्वास के जाग्रत होते ही आत्मा में छिपी हुई शक्तियां प्रस्फुटित हो उठती हैं। हमारे अंदर के श्रेष्ठ विचार महत्वपूर्ण कार्य के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसके विपरीत अपने प्रति अविश्वास से तो शक्ति के स्रोत सूख जाते हैं और लोग भंडार के होते हुए भी दीन तथा दरिद्र ही बने रहते हैं।"
     
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"व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता है तो वह भी देवतुल्य बन जाता है। विश्वास के जाग्रत होते ही आत्मा में छिपी हुई शक्तियां प्रस्फुटित हो उठती हैं। हमारे अंदर के श्रेष्ठ विचार महत्वपूर्ण कार्य के रूप में परिणत हो जाते हैं। इसके विपरीत अपने प्रति अविश्वास से तो शक्ति के स्रोत सूख जाते हैं और लोग भंडार के होते हुए भी दीन तथा दरिद्र ही बने रहते हैं।" 🌹

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#विचार

"सफलता की सिद्धि मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। जो व्यक्ति अपने इस अधिकार की उपेक्षा करके यथा-तथा जी लेने में ही संतोष मानते हैं, वे इस महामूल्य मानव जीवन का अवमूल्यन कर एक ऐसे सुअवसर को खो देते हैं, जिसका दोबारा मिल सकना संदिग्ध है।" 🌹🌹

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 Dushyant joshi

दीप हूं जलता रहूंगा प्रलय की आंधियों से अंत तक लड़ता रहूंगा पार जाऊंगा मेरा साहस कभी हारा नहीं है जो मिटा अस्तित्व दे ऐसी कोई धारा नहीं है। नाम दुष्यंत जोशी

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