*मैं आशिक वही बदला नहीं हूँ*
इश्क हमने तुमसे किया,तुम्हारे बदन से नहीं..
किसने कहा तुम मुझसे दूर हो,मेरी आँखों में देखो तो सही!!
मैं आशिक_______________
तुमने मुझे गैर का समझा,मगर अब मैं तेरा नहीं..
मै आशिक वही हूँ बदला नहीं!!
तेरे हर दर्द पर,मरहम लगा-लगाकर थक गया हूँ मै..
तेरी चाहत का मरीज हूँ,मगर दवा नही हूँ..
मैं आशिक_____________
मोहब्बत सच्ची इबादत से,की थी मैंने तुझसे..
अब तुझे हकीकत बताऊँ..
अरे मुजरिम हूँ,गवाह नहीं..
मैं आशिक़_____________
तू खुद को आग समझती है,अब तुझे कितनी बुझाऊँ..
माना फितरत से प्यासा हूँ,घड़ा नहीं!!
मैं आशिक______________
मैं जिन्दा हूँ तेरी,उन तस्वीरों की यादों में..
तुझे झूठे लगते थे,उन वादों में..
तुझे पाने के इरादों में..
तेरे सपनो के शहजादों में..
अभी मरा नहीं हूँ..
मैं आशिक वही,बदला नहीं हूँ!!
तेरी निगाहों की सलाखों में,सजा काट रहा हूँ मैं..
तेरे हुस्न का कैदी हूँ,मगर कातिल नहीं हूँ..
मैं आशिक वही,बदला नहीं हूँ!!
तूने मुझे राख समझके,मसल दिया होगा..
मगर अभी जला नही हूँ..
मैं आशिक वही बदला नहीं हूँ!!
शायद अब तू मुझे,मन्नतों में मांगेगी..
अब तेरी हर मन्नत पूरी करूं,इंसान हूँ खुदा नहीं..
मैं आशिक वही हूँ,बदला नहीं!!
रचनाकार:-महेंद्र सिंह चारण
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