English
तेरे चहरे की हसरते दिद को देखना था जैंसे मजदूर की आंखों में निंन्द को देखना था दो भाईयों में बहस थी जमीनी मसलो पर माँ की ख्वाहिश थी कि अबके वर्ष साथ में मनाते हुए इद देखनी थी नई नवेली दुल्हन की तरह सजाये थे खाब मैने इतनी हबस थी की बस खुली आँखों से जित देखनी थी ©Shubhamshavi choudhary
Shubhamshavi choudhary
11 Love
1,633 View
83 View
114 View
हे ये खराब आदतें मेरी मुझसे हार जाने को कहती है वो लड़की मुझे मिली ही नहीं पहले ही बिछड़ जाने को कहती हैं Ssc
9 Love
87 View
You are not a Member of Nojoto with email
or already have account Login Here
Will restore all stories present before deactivation. It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Download App
Stories | Poetry | Experiences | Opinion
कहानियाँ | कविताएँ | अनुभव | राय
Continue with
Download the Nojoto Appto write & record your stories!
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here