Monika  Sharma

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#कविता #loversday   सिमट जाते हो तुम अपने आप में
जैसे घड़े में पानी सिमटता है
मैं बिखर जाती हूँ इस तरह
 जैसे अंबर से पानी बरसता है
आओ! 
एक साथ नदी की तरह बहते हैं
एक दूजे के साथ ,एक दूजे में रहते हैं।
।।श्रीहरि कृपा।।

©Monika  Sharma

#loversday हमारा साथ

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#शायरी

unconditional love

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#शायरी #Hope

#Hope बाक़ी है

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#शायरी #Exploration  मेरी आज की ग़ज़ल के चंद अशआर.....

हमने दिल में यार ठिकाना रखा है
ख़ुश रहने का एक बहाना रखा है।

जब जी चाहे हमसे मिलने आ जाए
घर दुश्मन के आना -जाना रखा है।

ऐसे ही तो कहते कोई बात नहीं
दिल में हमने एक ज़माना रखा है।

सिवा प्रेम के और न कुछ भी पास रखा
नए-पुराने यारों से भी याराना रखा है।

प्यार, मुहब्ब्त कल को हमीं पढ़ाते हैं
नए तौर- तरीकों में सबक पुराना रखा है।

श्रीहरि कृपा
मोनिका शर्म

©Monika  Sharma

#Exploration सहेजना और संभालना

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पाँव काँटों पर चले अंगार सीने में जले हैं। यथार्थ के रण क्षेत्र में स्वप्न आँखों में पले हैं। कंटकों के जाल से भी फूल कुछ अनगिन चुनें हैं। बिजलियों की रार में भी दीप आशा के जले हैं। श्रीहरि कृपा मोनिका शर् ©Monika Sharma

#कविता #Parchhai  पाँव काँटों पर चले 
अंगार सीने में जले हैं।

यथार्थ के रण क्षेत्र में
स्वप्न आँखों में पले हैं।

कंटकों के जाल से भी
फूल कुछ अनगिन चुनें हैं।

बिजलियों की रार में भी
दीप आशा के जले हैं।

श्रीहरि कृपा
मोनिका शर्

©Monika  Sharma

#Parchhai यथार्थ

14 Love

#कविता  बस यूँ ही कह दिया

©Monika  Sharma

बस यूँ ही कह दिया ©Monika Sharma

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