Alfaaz dil se

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White "खून बहाकर पाई है हमने ये आजाद घड़ियां, इश्क वतन से था उनको जिन्होंने लूटा दी जिंदगानिया, याद रहे ए वतन तुझे अब हर पल वो कहानियां, छूट गई हैं पीछे जिनकी यादों में निशानियां, क्या कोई हिन्दू क्या कोई मुस्लिम सब लड़े एक तलवार से, मिल गई खाक में ना जाने ए दोस्त कितनी ही जवानियां, अब हम करते  याद उन्हें जो लिख बैठे वतन कहानियां, खून खौल उठता था जिनका देख गुलामी की निशानियां"       "हाथ जोड़ कर करे वंदना विनती यही है मेरी,  हो जाओ अब खड़े तुम  आजादी अब जिम्मेदारी तेरी,     दे गए त्याग जो जीवन अपना सुनने आजादी वाली लोरी,    कलम से लिखता है जितेंद्र फिर आजादी तुझे जो प्यारी,        याद रखेगा ये देश हमेशा सुन ये बलिदान वाली खून की होली आज खड़ा है बना हिमालय मेरे देश का प्यारा अडिग प्रहरी" ©Alfaaz dil se

#happy_independence_day #wishes  White "खून बहाकर पाई है हमने ये आजाद घड़ियां,
इश्क वतन से था उनको जिन्होंने लूटा दी जिंदगानिया,

याद रहे ए वतन तुझे अब हर पल वो कहानियां,
छूट गई हैं पीछे जिनकी यादों में निशानियां,

क्या कोई हिन्दू क्या कोई मुस्लिम सब लड़े एक तलवार से,
मिल गई खाक में ना जाने ए दोस्त कितनी ही जवानियां,

अब हम करते  याद उन्हें जो लिख बैठे वतन कहानियां,
खून खौल उठता था जिनका देख गुलामी की निशानियां"

      "हाथ जोड़ कर करे वंदना विनती यही है मेरी,
 हो जाओ अब खड़े तुम  आजादी अब जिम्मेदारी तेरी,
   
दे गए त्याग जो जीवन अपना सुनने आजादी वाली लोरी,
   कलम से लिखता है जितेंद्र फिर आजादी तुझे जो प्यारी,

       याद रखेगा ये देश हमेशा सुन ये बलिदान वाली खून की होली
आज खड़ा है बना हिमालय मेरे देश का प्यारा अडिग प्रहरी"

©Alfaaz dil se

महफिल तेरी थी और हम दिल अपना गवां बैठे थे, मेरे हर लफ्ज़ में तेरे दिल को शामिल कर अपना बना बैठे थे, पसंद आ जाए तुझे मेरा संग कर खुदा से दुआ बैठे थे, तेरी ही महफिल में पैगाम ए रूह तेरे लिए बुला बैठा थे, तेरे दिल के अंधेरे को हम तो अपना उजाला बना बैठे थे, तेरे ही इश्क के तरीके को हम अपना इश्क तरीका बना बैठे थे, तू होकर इश्क में गुम महफिल ए इश्क को तबाह बता बैठे थे, तेरे कतरे भर इश्क से हम मधुशाला को अपना हिस्सा बना बैठे थे, साथ जब तेरा था तो एक उम्मीद से तेरा हाथ हम थामे बैठे थे, रूह ए इश्क में हम तो तेरी सादगी को बंदगी बनाए बैठे थे, तुम तो मिली नही पर तेरे इश्क की महफिल को सजाए बैठे थे, रहम दिली को तेरी हम ए सनम इश्क अर्जी बनाए बैठे थे, ज़ख्म ए इश्क को भरने के लिए रूह ए मरहम लाए बैठे थे, जाना तो मेरा आखिरी रास्ता था तेरे लिए धड़कन धड़काए बैठे थे, तेरे नाम को हम आज भी ना जाने क्यों होंठो पे सजाए बैठे थे, मेरी महफिल में तो बस तेरा नाम लिए बदनाम हुए बैठे थे, इश्क ए कमल की स्याही में हम तेरा नाम छुपाए बैठे थे, हाल देख तेरा हम अपनी पलकों को भिगाओ बैठे थे, तेरे ऊपर हम अपना सारा इश्क बरसाए बैठे थे, हम तो तेरे इश्क में अपने लाल खून को तड़पाए बैठे थे ©Alfaaz dil se

#WallTexture  महफिल तेरी थी और हम दिल अपना गवां बैठे थे,
मेरे हर लफ्ज़ में तेरे दिल को शामिल कर अपना बना बैठे थे,

पसंद आ जाए तुझे मेरा संग कर खुदा से दुआ बैठे थे,
तेरी ही महफिल में पैगाम ए रूह तेरे लिए बुला बैठा थे,

तेरे दिल के अंधेरे को हम तो अपना उजाला बना बैठे थे,
तेरे ही इश्क के तरीके को हम अपना इश्क तरीका बना बैठे थे,

तू होकर इश्क में गुम महफिल ए इश्क को तबाह बता बैठे थे,
तेरे कतरे भर इश्क से हम मधुशाला को अपना हिस्सा बना बैठे थे,

साथ जब तेरा था तो एक उम्मीद से तेरा हाथ हम थामे बैठे थे,
रूह ए इश्क में हम तो तेरी सादगी को बंदगी बनाए बैठे थे,

तुम तो मिली नही पर तेरे इश्क की महफिल को सजाए बैठे थे,
रहम दिली को तेरी हम ए सनम इश्क अर्जी बनाए बैठे थे,

ज़ख्म ए इश्क को भरने के लिए रूह ए मरहम लाए बैठे थे,
जाना तो मेरा आखिरी रास्ता था तेरे लिए धड़कन धड़काए बैठे थे,

तेरे नाम को हम आज भी ना जाने क्यों होंठो पे सजाए बैठे थे,
मेरी महफिल में तो बस तेरा नाम लिए बदनाम हुए बैठे थे,

इश्क ए कमल की स्याही में हम तेरा नाम छुपाए बैठे थे,
हाल देख तेरा हम अपनी पलकों को भिगाओ बैठे थे,

तेरे ऊपर हम अपना सारा इश्क बरसाए बैठे थे,
हम तो तेरे इश्क में अपने लाल खून को तड़पाए बैठे थे

©Alfaaz dil se

#WallTexture

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Life Like रहने दिया अगर नाम तेरा मैने दिल में तो हम तन्हा रहेंगे, इसीलिए इस खूबसूरत ख्वाइश को दफन रहने दो, हुए गुमनाम अगर हम इस जहां ए इश्क में तो कैसे रहेंगे, नादान दिल की गुस्ताख़ मोहब्बत के हिस्से कफन रहने दो, आरज़ू अगर पूरी हुई तेरी तो सुन लो हम पहले से ना रहेंगे, गुज़ारिश है मेरी तुझसे आरजूओं को अब हरफन रहने दो, तेरे तस्सावुर के खयालों में बन अनकहा वजूद हम आते रहेंगे, तुम मुझे भी संग अपने, खुद के खयालों में अब मगन रहने दो, रिमझिम बारिश में अंग तेरे गज़ल से खूबसूरत खिलते रहेंगे, मेरे अधरो पे तेरी खुबसूरती की अनकही एक कहानी रहने दो, मुस्कान आती रहेगी जब तक तेरे ज़हन में बन याद हम रहेंगे, तमन्नाओं को बना ख़्वाब अपनी आंखो अब सजा रहने दो, जिंदगी है जहां इंसान ताउम्र अपने वजूद में गलती करते रहेंगे, सफ़र ए जिंदगी को खुशनुमा बना एक अमिट याद रहने दो, अक्सर तुझे अपना कहने वाले लोग तुझसे नाराज़ होते रहेंगे, संभल जाए रूह यहां अब तो खुद को इतनी ठोकरें लगने दो, मन मोहक तेरी अदाओं के सैलाब में हर दफा हम बहते रहेंगे,  तक़दीर जब इश्क दिखाए बन आंसू तब अधरों को मुस्काने दो, चांद है बहुत खुबसूरत इतना लफ़्ज़ों में ज़िक्र तेरा करते रहेंगे, लम्हे खूबसूरत है इतने की खुशबू तेरी मेरे एहसासों में कैद रहने दो।। _जितेंद्र ©Alfaaz dil se

#Lifelike  Life Like रहने दिया अगर नाम तेरा मैने दिल में तो हम तन्हा रहेंगे,
इसीलिए इस खूबसूरत ख्वाइश को दफन रहने दो,

हुए गुमनाम अगर हम इस जहां ए इश्क में तो कैसे रहेंगे,
नादान दिल की गुस्ताख़ मोहब्बत के हिस्से कफन रहने दो,

आरज़ू अगर पूरी हुई तेरी तो सुन लो हम पहले से ना रहेंगे,
गुज़ारिश है मेरी तुझसे आरजूओं को अब हरफन रहने दो,

तेरे तस्सावुर के खयालों में बन अनकहा वजूद हम आते रहेंगे,
तुम मुझे भी संग अपने, खुद के खयालों में अब मगन रहने दो,

रिमझिम बारिश में अंग तेरे गज़ल से खूबसूरत खिलते रहेंगे,
मेरे अधरो पे तेरी खुबसूरती की अनकही एक कहानी रहने दो,

मुस्कान आती रहेगी जब तक तेरे ज़हन में बन याद हम रहेंगे,
तमन्नाओं को बना ख़्वाब अपनी आंखो अब सजा रहने दो,

जिंदगी है जहां इंसान ताउम्र अपने वजूद में गलती करते रहेंगे,
सफ़र ए जिंदगी को खुशनुमा बना एक अमिट याद रहने दो,

अक्सर तुझे अपना कहने वाले लोग तुझसे नाराज़ होते रहेंगे,
संभल जाए रूह यहां अब तो खुद को इतनी ठोकरें लगने दो,

मन मोहक तेरी अदाओं के सैलाब में हर दफा हम बहते रहेंगे,
 तक़दीर जब इश्क दिखाए बन आंसू तब अधरों को मुस्काने दो,

चांद है बहुत खुबसूरत इतना लफ़्ज़ों में ज़िक्र तेरा करते रहेंगे,
लम्हे खूबसूरत है इतने की खुशबू तेरी मेरे एहसासों में कैद रहने दो।।
                                                                         _जितेंद्र

©Alfaaz dil se

#Lifelike

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White आलम ए बेहोशी को ज़रा अहसास ए इश्क कैसे कहा जाए, दर्द ए इश्क में ए खुदा ना जाने अब क्यों मेरा दिल बैठा जाए, नादान मन  है अब यहां जो इश्क में पाने की जिद किए जाए, रूह का सुकून तो जब हो तब वो हर पल बस इश्क देता जाए, कितना बहका हूं तेरे हुस्न की कश्मकश में तेरे दिल से पूछा जाए, मिला ही नही मौका जो तेरी रूह में मेरा इश्क फिर मिलाया जाए, वो  सावन आता नही अब की बारिश की बूंदे तेरे तन को छू जाए, ऐसा होता नही की इश्क खामोश हो और धरती प्यासी रह जाए, झूठ कहते है वो सख्श अब यहां जो कहते तेरे बिन हम मर जाए, एक जरा सी बात पे ही अब यहां सच्चे इश्क की हत्या हो जाए, जब कोई खास दर्द बन रुलाए तब प्याला ए शब सूकू दे जाए, दिल रोना तो सीख गया तेरे बिना पर अब कैसे मुस्कुराया जाए, मेरे दिल को चीरती तेरी नादानियां बता तू उन्हे कैसे भूला जाए, विदा तो हम कर देंगे तुझे जब तू कहे पर तेरी यादों से कैसे जाए, बैठ तो जाएं पास तेरे ए सनम पर तेरी करीबी मेरी जान ना ले जाए, कुछ खास तो नही ए सनम अब कमल मेरी भी बात तेरी करती जाए।।                                                                                  _जितेंद्र ©Alfaaz dil se

#rajdhani_night  White आलम ए बेहोशी को ज़रा अहसास ए इश्क कैसे कहा जाए,
दर्द ए इश्क में ए खुदा ना जाने अब क्यों मेरा दिल बैठा जाए,

नादान मन  है अब यहां जो इश्क में पाने की जिद किए जाए,
रूह का सुकून तो जब हो तब वो हर पल बस इश्क देता जाए,

कितना बहका हूं तेरे हुस्न की कश्मकश में तेरे दिल से पूछा जाए,
मिला ही नही मौका जो तेरी रूह में मेरा इश्क फिर मिलाया जाए,

वो  सावन आता नही अब की बारिश की बूंदे तेरे तन को छू जाए,
ऐसा होता नही की इश्क खामोश हो और धरती प्यासी रह जाए,

झूठ कहते है वो सख्श अब यहां जो कहते तेरे बिन हम मर जाए,
एक जरा सी बात पे ही अब यहां सच्चे इश्क की हत्या हो जाए,

जब कोई खास दर्द बन रुलाए तब प्याला ए शब सूकू दे जाए,
दिल रोना तो सीख गया तेरे बिना पर अब कैसे मुस्कुराया जाए,

मेरे दिल को चीरती तेरी नादानियां बता तू उन्हे कैसे भूला जाए,
विदा तो हम कर देंगे तुझे जब तू कहे पर तेरी यादों से कैसे जाए,

बैठ तो जाएं पास तेरे ए सनम पर तेरी करीबी मेरी जान ना ले जाए,
कुछ खास तो नही ए सनम अब कमल मेरी भी बात तेरी करती जाए।।

                                                                                 _जितेंद्र

©Alfaaz dil se

उजाड़ कर बसे तो क्या बसे गुमान तुम्हारे सारे रह जाएंगे धरे के धरे, मार कर जिए तो क्या जिए रह जाओगे तुम खुद में मरे के मरे, दुखा कर दिल इश्क किए तो क्या किए रह जाओगे तड़पते के तड़पते, बिखेर के अगर समेटा तो क्या समेटा रह जाओगे तुम बिखरे के बिखरे, उलझा के अगर सुलझे तो क्या सुलझे रह जाओगे उलझे के उलझे, छोड़ कर किसी को सुकूं पाया तो क्या पाया रह जाओगे तुम छूटे के छूटे, तोड़ कर अगर जोड़ा तो क्या जोड़ा तुमने रह जाओगे टूटे के टूटे, रुला कर हंसे तो क्या हंसे रह जाओगे तुम रोते के रोते, गिरा कर उठे किसी को तो क्या उठे तुम रह जाओगे गिरे के गिरे, पाप करके गंग में धुले तो क्या धुले तुम रह जाओगे तुम धोते के धोते।। ©Alfaaz dil se

 उजाड़ कर बसे तो क्या बसे गुमान तुम्हारे सारे रह जाएंगे धरे के  धरे,
मार कर जिए तो क्या जिए रह जाओगे तुम खुद में मरे के मरे,

दुखा कर दिल इश्क किए तो क्या किए रह जाओगे तड़पते के तड़पते,
बिखेर के अगर समेटा तो क्या समेटा रह जाओगे तुम बिखरे के बिखरे,

उलझा के अगर सुलझे तो क्या सुलझे रह जाओगे उलझे के उलझे,
छोड़ कर किसी को सुकूं पाया तो क्या पाया रह जाओगे तुम छूटे के छूटे,

तोड़ कर अगर जोड़ा तो क्या जोड़ा तुमने रह जाओगे टूटे के टूटे,
रुला कर हंसे तो क्या हंसे  रह जाओगे तुम रोते के रोते,

गिरा कर उठे किसी को तो क्या उठे तुम रह जाओगे गिरे के गिरे,
पाप करके गंग में धुले तो क्या धुले तुम रह जाओगे तुम धोते के धोते।।

©Alfaaz dil se

उजाड़ कर बसे तो क्या बसे गुमान तुम्हारे सारे रह जाएंगे धरे के धरे, मार कर जिए तो क्या जिए रह जाओगे तुम खुद में मरे के मरे, दुखा कर दिल इश्क किए तो क्या किए रह जाओगे तड़पते के तड़पते, बिखेर के अगर समेटा तो क्या समेटा रह जाओगे तुम बिखरे के बिखरे, उलझा के अगर सुलझे तो क्या सुलझे रह जाओगे उलझे के उलझे, छोड़ कर किसी को सुकूं पाया तो क्या पाया रह जाओगे तुम छूटे के छूटे, तोड़ कर अगर जोड़ा तो क्या जोड़ा तुमने रह जाओगे टूटे के टूटे, रुला कर हंसे तो क्या हंसे रह जाओगे तुम रोते के रोते, गिरा कर उठे किसी को तो क्या उठे तुम रह जाओगे गिरे के गिरे, पाप करके गंग में धुले तो क्या धुले तुम रह जाओगे तुम धोते के धोते।। ©Alfaaz dil se

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क्या ही जाने कोई लिखा क्या है किस्मत की लकीरों में, कुछ को मिल गई मंजिल कुछ बस फंसे रहे झमेलों में, मिला नही किसी को सुकून उम्र भर भी महलों में, कुछ सो गए चैन से पल भर में खुद लाख कमियों में, पड़ गया फीका किसी के सामने अथाह समुद्र भी सुन, किसी ने जी भर जिया जीवन आंखों की नामियों में, पड़ गई किसी के लिए कम महफिल दर्द बयां करने को, कोई हो गया लिख दो शेर गमगीन सिर्फ अंधेर कमरों में, इरादा नहीं था मेरा ए जिंदगी कभी लिखूं लफ्ज़ पन्नों पे, आज सामने हूं तेरे लिए कलम मैं भी मशरूफ गजलों में।। ©Alfaaz dil se

#Aansu  क्या ही जाने कोई लिखा क्या है किस्मत की लकीरों में,
कुछ को मिल गई मंजिल कुछ बस फंसे रहे झमेलों में,

मिला नही किसी को सुकून उम्र भर भी महलों में,
कुछ सो गए चैन से पल भर में खुद लाख कमियों में,
 
पड़ गया फीका किसी के सामने अथाह समुद्र भी सुन,
किसी ने जी भर जिया जीवन आंखों की नामियों में,

पड़ गई किसी के लिए कम महफिल दर्द बयां करने को,
कोई हो गया लिख दो शेर गमगीन सिर्फ अंधेर कमरों में,

इरादा नहीं था मेरा ए जिंदगी कभी लिखूं लफ्ज़ पन्नों पे,
आज सामने हूं तेरे लिए कलम मैं भी मशरूफ गजलों में।।

©Alfaaz dil se

#Aansu

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