जो मुझ में उतरे हैं उनको मेरी लहरों का अंदाजा है दरियाओ में उठता बैठता हूं सैलाब बसर करता हूं मेरी तन्हाई का बोझ तुम्हारी बिनाई ले डूबेगा मुझे इतना करीब से मत देखो आंखों पर असर करता हूं ©तेहज़ीब हाफी
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