Wasim Ahmad

Wasim Ahmad

जो मुझ में उतरे हैं उनको मेरी लहरों का अंदाजा है दरियाओ में उठता बैठता हूं सैलाब बसर करता हूं मेरी तन्हाई का बोझ तुम्हारी बिनाई ले डूबेगा मुझे इतना करीब से मत देखो आंखों पर असर करता हूं ©तेहज़ीब हाफी

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