नहीं सुन पाओगे तुम मेरी खामोशी, इस शोर मै भी
मुझे तन्हाइयो मै सुनना भी महफ़िल सा लगता है
इसी बात पर सोचा ऐसा क्यों ?
तो पूछा मेने एक दिन खुद से
अंदर मेरे केसा यह शोर है
काफी देर सोचने के बाद कुछ शब्द आए
खुला आसमान , चांद , सितारे चाहत है तेरी
पर बन्द दीवारों को साजाने पर ज़ोर है
सपने देखता है तू खुली फिज़ाओं और हवाओ के
पर सांसे सिमटी एक छोर मै है
एक ओर बात, जो तुम्हे सताती है
की कौन हो तुम,इसका जवाब भी लेे लो
तो कोई पूछे, कौन हो तुम
तो कह देना
एक जुठ हूं पर आधा सचा सा
जज्बात से छुपा एक पर्दा सा
एक बहाना हूं पर अच्छा सा
जीवन का एक साथी
जो साथ होकर भी साथ नी
कोई तुमसे पूछे कौन हो तुम
तो केह देना कोई खास नहीं
एक शोर हूं खामोश सा , खामोश सा
@ravi
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