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सोचो खुद में कितना तन्हा हूँ मै अक्सर हँसते-हंसते रो जाता हूँ मैं © Raj Kishor Singh
Raj Kishor Singh
12 Love
शहर आज ये इतना सुनसान क्यूँ है ? गलियां आज इतनी वीरान क्यूँ है ? आपने खुद ही कांटा बोया है आदम, अब कांटे देखकर इतने हैरान क्यूँ है ? ©Raj Kishor Singh
14 Love
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हक़ के लिए भी लड़ूंगा तो हक़ खो दूंगा मैं । इससे ज़्यादा कुछ बोलूंगा तो शायद रो दूंगा मैं । © Raj Kishor Singh
15 Love
इस दफ़ा भी ये होली कुछ इस कदर मनाना पड़ा । तुम्हारे होते हुए भी खुद से ही रंग लगाना पड़ा । © Raj Kishor Singh
27 Love
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