जब जब दर्द का बादल छाया
जब ग़म का साया लेहेराया
जब आंसू पलकों तक आया
जब यह तनहा दिल घबराया
हमनें दिल को यह समझाया,
दिल आखिर तू क्यों रोता है?
दुनिया में यूँ ही होता है
यह जो गेहेरे सन्नाटे हैं
तु ये मुझ पर एक एहसान कर दे
अपनी मोहब्बत को मेरे नाम कर दे
खुदा तुझे इस से बेहतर अता करे
तु इस चाँद को मुझ पर कुरबान कर दे
अपनी मोहब्बत को मेरे नाम कर दे
चाहे बेशक मुझे पूरी महफिल में बदनाम कर दे
अपनी जिंदगी में तु भी एक नेक काम कर दे
अपनी मोहब्बत को मेरे नाम कर दे
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