मनुष्य का एक स्वभाव होता है। जब वह दया करता है तो चाहता है याचक पूरी तरह विनम्र बना रहे , अगर याचक दान लेने में कहीं भी स्वाभिमान दिखलाता है तो आदमी अपनी दानवृत्ति और दया भाव भूल कर नृशंसता से उसके स्वाभिमान को कुचलने में व्यस्त हो जाता है।
~ गुनाहों का देवता
#independenceday2020
सन सैंतालीस की गरिमा को
हर साल मनाना है स्वतंत्र
निज मन के कैद विचारों को
रूह को उनमुक्त कराना है स्वतंत्र।
गगनों में विचार रहे विहगों को
स्वछंद निहारना है स्वतंत्र
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