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मैं खुद ही लिखता हूं, चल कही दूर जाते है दुनिया की नजरों से गुम हो जाते है
एक चिड़िया थी जाने अनजानि जाने कहा से आइथी दिन भर घूमती थी इस डाली से उस डाली पर श्याम को मेरे पास आती थीकेहती थी दिन भर की सारी बाते फिर वही मेरे पास सो जाती थी जाने क्या था उससे रिश्ता जाने कहा से ओ मेरे जिंदगी में आई थी ©Parmeshwar Janjire
Parmeshwar Janjire
9 Love
किताबे छुटी फिर हम खुद ही किताबो के ठेकेदार हो गए कितनी आई कितनी गई हातो से जो पसंद थी जो भी हम अपने पास ना रख सके ©Parmeshwar Janjire
6 Love
मैं ही रह गया साल के आखरी दिन तक इस शहर मे मुजको छोड़ के हर कोई अपने सफर पै चला गया नए शहर को गले लगाने ©Parmeshwar Janjire
10 Love
साल का पहिला दिन ओर गुजरे साल की न मिटने वाली याद ओ ओर उसका एहसास ©Parmeshwar Janjire
8 Love
हमे जाने दो हमारे घर के तरफ ओर भी लोगो का मुझपर हक है इन सहरो मैं खत्म हो गई जवानी मेरी कोई मेरे इंतजार मैं बैठा है आंखों मैं आंसू लेकेjp ©Parmeshwar Janjire
तेरी दीवानगी से एक सबक मिला मुझे के इश्क मैं इतनी दीवानगी भी अछि नही होती ©Parmeshwar Janjire
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