प्रेम करना है?
करो, और करो तो पुरी शिद्दत से करो वरना मत करो।
बिना कोई शर्त बिना कोई नियम के करो।
बदले में वो भी तुम्हें उतना ही प्यार करे ये उम्मीद मत रखना।
क्योंकि जब उम्मीदें पूरी नहीं होंगी, तो तकलीफ होगी।
फिर तुम प्यार को दोष दोगे।
प्यार दोषी नहीं है, दोषी तुम खुद हो।
हां सच कह रही हूं, दोषी तुम खुद ही तो हो। क्यूँ करते हो इतनी उम्मीदें?
प्यार बांटों न
प्यार दो, वापस पाने की भावना मत रखो
जहाँ पाने की भावना आ जाये वहां प्रेम कमज़ोर पड़ जाता है।
प्रेम को जी लो बस
वो हंसे तो साथ मे हंस लिया करो
वो दुखी हो तो बांट लिया करो उसका दुःख
उसको समझो, उससे बातें करो
उसकी प्रेरणा बनो, उसका हौसला अफ़जाई करो
उसके व्यक्तित्व को महत्व दो
कभी उसको उसी की नज़र में गिराने की कोशिश मत करो।
माना तुम सही हो, पर हो सकता है वो भी अपनी जगह सही हो।
मैं सही तुम गलत, इसमें मत पड़ो ना
इतनी सी तो ज़िन्दगी है, कब तक उलझे रहोगे इन बेमतलब की बातों में।
खुश रहना सीखो, हर ग़म को ये कह कर टाल दो की होता है, ज़िन्दगी है, होता है, चलता है , चला लेंगे।
ज़िन्दगी बहोत आसान हो जाएगी
इन उम्मीदों के बोझ को छोड़ दो कहीं दूर
बढ़ जाओ आगे
मन में किसी के लिए द्वेष या नफरत मत रखो
प्यार भर लो मन में और एक नए सफर की शुरुआत करो।
प्यार बांटो, प्यार दो पर एक बार फिर से कहती हूं। वापस प्यार पाने की उम्मीद मत करना।
खुश रहो और जो भी मिले सबको खुशियां बांटो।
- तेजस्विनी
©Tejaswini Singh
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