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Mahendra Prasad Pal

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jai sri radhe

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राम गये बन को अयोध्या मे उदासी है। वह प्रेम पियुष गया व्याकुल पुरवासी है।। शान्ति और श्रद्धा हर भाव उदासी है। वर कारन किसका मन्थरा सी दासी है।। बात सुने भाई वह नेह उदासी है। वह् साथ् चले प्रभू के चिन्ता उर्वासी है।। ©Mahendra Prasad Pal

#कविता #Thinking  राम गये बन को अयोध्या मे उदासी है।
वह प्रेम पियुष गया व्याकुल पुरवासी है।।
शान्ति और श्रद्धा हर भाव उदासी है।
वर कारन किसका मन्थरा सी दासी है।।
बात सुने भाई वह नेह उदासी है।
वह् साथ् चले प्रभू के चिन्ता उर्वासी है।।

©Mahendra Prasad Pal

#Thinking

14 Love

राधा प्रेम हमारी हो सारी दुनिया कहती है। मीरा एक भक्त रही दिन रात जो भजती है।। मीरा दे दी अपनी श्रद्धा जो बहती है। वह नेह भरी भक्ति मेरे आत्म मे बसती है।। ©Mahendra Prasad Pal

#कविता #Thinking  राधा प्रेम हमारी हो सारी दुनिया कहती है।
मीरा एक भक्त रही दिन रात जो भजती है।।
मीरा दे दी अपनी श्रद्धा जो बहती है।
वह नेह भरी भक्ति मेरे आत्म मे बसती है।।

©Mahendra Prasad Pal

#Thinking

11 Love

रुप को तो देख फुल खुद निराश था। ये हुस्न क्या तराश के लाया गुलाब था।। यौवन निखार को लिये मधुमास साथ था। उस चान्द से सुन्दर सुभग सुषमा निसार् था ।। ©Mahendra Prasad Pal

#कविता #Thinking  रुप को तो देख फुल खुद निराश था।
ये हुस्न क्या तराश के लाया गुलाब था।।
यौवन निखार को लिये मधुमास साथ था।
 उस चान्द से सुन्दर सुभग सुषमा निसार् था ।।

©Mahendra Prasad Pal

#Thinking

16 Love

मन मे बसे हो आज भाव श्रद्धा सङ्ग मे। एक आइना मिला मुझे सुन्दर मुरीद मे।। प्रेम समर्पित करे आनन्द साथ मे। वह आत्म भाव भर गया सुन्दर् विवेक मे।। ©Mahendra Prasad Pal

#कविता #Thinking  मन मे बसे हो आज भाव श्रद्धा सङ्ग मे।
एक आइना मिला मुझे सुन्दर मुरीद मे।।
प्रेम समर्पित करे आनन्द साथ मे।
वह आत्म भाव भर गया सुन्दर् विवेक मे।।

©Mahendra Prasad Pal

#Thinking

14 Love

आपके आने से दिल मेरा बहका। प्रेम इतना दिया की वह मन महका।। ©Mahendra Prasad Pal

#कविता #Sad_Status  आपके आने से दिल मेरा बहका।
प्रेम इतना दिया की वह मन महका।।

©Mahendra Prasad Pal

#Sad_Status

14 Love

White मधु मास की पवन मन को रिझा रही। दबी विरह की आग को फिर से जला रही।। प्रेम साथ श्रद्धा मन को भीगा रही। भुली हुई उस याद को फिर से जगा रही।। ©Mahendra Prasad Pal

#कविता #Thinking  White मधु मास की पवन मन को रिझा रही।
दबी विरह की आग को फिर से जला रही।।
प्रेम साथ श्रद्धा मन को भीगा रही।
भुली हुई उस याद को फिर से जगा रही।।

©Mahendra Prasad Pal

#Thinking

13 Love

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