तन्हा

तन्हा Lives in Pakur, Jharkhand, India

मुझे जानकर गहराई से क्या करोगे जनाब , टूटा हुआ दिल का टुकड़ा हूं गहराई नापने जाओगे तो चुभ जाऊंगा। मां भारती का एक सपूत। माता हिंदी और मासी उर्दू का अदना सा कवि. . राष्ट्र स्तरीय खिलाड़ी ।

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वीर कुंवर सिंह

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#कोरोना

#कोरोना से लड़ना है।

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#कला

“गिरते हैं सजदों में हम अपनी हसरतों की खातिर.. अगर गिरते इश्क -ए-खुदा में .. तो कोई हसरत अधूरी ना रहती ।”

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#kuch_kar_jayein #कविता #Motivational

#Motivational #kuch_kar_jayein coming soon full poetry

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पैरों से जमीं, रौंदत्ता है और आसमां.... सर पर...उठा रखा है....!! बेटे की पढ़ाई.. और बेटी की....शादी, बाप.. पूरे घर की जिम्मेदारियों को... अपने.. सर पर.. उठा रखा है..!! वो जो ऊंचा दिख रहा है ना..जिस शख्स का.. सर तुम्हें उसके नीचे भी देख लो.... किसी ने उसे... कंधों पर.. उठा रखा है..!!

 पैरों से जमीं, रौंदत्ता है और आसमां....
 सर पर...उठा रखा है....!!

बेटे की पढ़ाई.. और बेटी की....शादी,
बाप.. पूरे घर की जिम्मेदारियों को... अपने.. 
सर पर.. उठा रखा है..!!

वो जो ऊंचा दिख रहा है ना..जिस शख्स का.. सर तुम्हें
 उसके नीचे भी देख लो....
 किसी ने उसे... कंधों पर.. उठा रखा है..!!

पैरों से जमीं, रौंदत्ता है और आसमां.... सर पर...उठा रखा है....!! बेटे की पढ़ाई.. और बेटी की....शादी, बाप.. पूरे घर की जिम्मेदारियों को... अपने.. सर पर.. उठा रखा है..!! वो जो ऊंचा दिख रहा है ना..जिस शख्स का.. सर तुम्हें उसके नीचे भी देख लो.... किसी ने उसे... कंधों पर.. उठा रखा है..!!

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आग लगी है, मेरी बस्ती में...तो बुझाने, वह क्यों जाएगा..?? उस मोहल्ले में... कही उसका मकान... थोड़ी है..!! वह हार मांगता है, मेरी...रोज मंदिरों में जाकर.. समझाओ उसे कोई.. मंदिरो में... बसे भगवान थोड़ी है..!! मैं भी मां के पैर दबा कर... जीत मांग लेता हूं अपनी... मेरी मां भी भगवान है.... मेरे लिए... इंसान थोड़ी है...!! और यह दोस्ती है ना... बुरे वक्त में भी... साथ रहना पड़ता है साहब... जब तीखी लगी जिंदगी... बस तभी याद करो...यह मीठा पकवान थोड़ी है...!! और वह शख्स ...जिसने पीठ पीछे... खंजर से वार किया है, आज... वह भी जिगरी दोस्त.... है मेरा... शैतान थोड़ी है...!!

 आग लगी है, मेरी बस्ती में...तो बुझाने, वह क्यों जाएगा..??
उस मोहल्ले में... कही उसका मकान... थोड़ी है..!!

वह हार मांगता है, मेरी...रोज मंदिरों में जाकर..
 समझाओ उसे कोई.. मंदिरो में... बसे भगवान थोड़ी है..!!

मैं भी मां के पैर दबा कर... जीत मांग लेता हूं अपनी...
मेरी मां भी भगवान है.... मेरे लिए... इंसान थोड़ी है...!!

और यह दोस्ती है ना... बुरे वक्त में भी... साथ रहना पड़ता है साहब...
जब तीखी लगी जिंदगी... बस तभी याद करो...यह मीठा पकवान थोड़ी है...!!

और वह शख्स ...जिसने पीठ पीछे... खंजर से वार किया है, आज...
वह भी जिगरी दोस्त.... है मेरा... शैतान थोड़ी है...!!

वह हार मांगता है मेरी.... रोज मंदिरों में जाकर... मैं पैर दबाता हूं... मां के.. रोज़ थका-हारा आकर..!!

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