Devrajsolanki

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poet and writer..✍️ instagram - devrajsolanki04

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White टूटती हैं पतवार तो टूटने दे तू.. चल लहरों को चीरते हुए, आज डूबती है नाव तो डूबने दे तू। कर किनारों पर पड़ाव यू, थमती है सांसे तो थमने दे तू। पैरों पे जरा सी मिट्टी जमने दे, प्यासी हैं मिट्ठी भी तो थार पे दो कदम जिन्दगी चलने दे तू। आंखों में आंधी की झपट पड़ने दे, जरा इन झीलों को भी तो जलने दे तू। होती हैं बगावत ख़ुद में तो हो जानें दे, अपने मैं आज बदलाव को आने दे तू। गलती हैं देह तो गलने दे जरा, जिन्दगी को पानी सा चलने दे तू। - देवराज सोलंकी ©Devrajsolanki

#कविता #devrajsolanki #Sad_Status  White टूटती हैं पतवार तो टूटने दे तू..
चल लहरों को चीरते हुए,
आज डूबती है नाव तो डूबने दे तू।
कर किनारों पर पड़ाव यू,
थमती है सांसे तो थमने दे तू।
पैरों पे जरा सी मिट्टी जमने दे,
प्यासी हैं मिट्ठी भी तो थार पे 
दो कदम जिन्दगी चलने दे तू।
आंखों में आंधी की झपट पड़ने दे,
जरा इन झीलों को भी तो जलने दे तू।
होती हैं बगावत ख़ुद में तो हो जानें दे,
अपने मैं आज बदलाव को आने दे तू।
गलती हैं देह तो गलने दे जरा,
जिन्दगी को पानी सा चलने दे तू।

                       - देवराज सोलंकी

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White और जब अन्त में कुछ भी हाथ नहीं लगता है तब वे अपनी जिन्दगी को एक तमाशा बना कर चले जाते हैं, ऐसा तमाशा जिससे बड़े-बड़े ज्ञानियों को रस मिलता है और अज्ञानियों को ज्ञान।" {काया} से ©Devrajsolanki

#कोट्स #devrajsolanki #good_night  White और जब अन्त में कुछ भी हाथ नहीं लगता है तब वे अपनी जिन्दगी को एक तमाशा बना कर चले जाते हैं,
ऐसा तमाशा जिससे बड़े-बड़े ज्ञानियों को रस मिलता है और अज्ञानियों को ज्ञान।"

{काया} से

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Unsplash "जिसका कोई नहीं होता, उसकी पूरी दुनिया होती हैं ....दुश्मन।" (काया) से ©Devrajsolanki

#कोट्स #devrajsolanki #traveling  Unsplash "जिसका कोई नहीं होता,
 उसकी पूरी दुनिया होती हैं
 ....दुश्मन।"

(काया) से

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green-leaves तू ग्यारह को गया गांव से मेरे, तेरह को तेरे शहर से हम लौट आए। ©Devrajsolanki

#कोट्स #devrajsolanki #GreenLeaves  green-leaves तू ग्यारह को गया गांव से मेरे,
तेरह को तेरे शहर से हम लौट आए।

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सनातन धर्म में चाय का कोई स्थान नहीं है फिर भी ये जानते हुए कि ये एक विदेशी वस्तु है, सनातनी इसका खूब स्तेमाल करते हैं। इसका सीधा मतलब ये है कि सनातनी हिन्दू लोग संसार के किसी भी देश या देश की वस्तु में भेद भाव नहीं करते,सब को अपनेपन की भावना के साथ अपनाते हैं! ©Devrajsolanki

#विचार #devrajsolanki  सनातन धर्म में चाय का कोई स्थान नहीं है फिर भी ये जानते हुए कि ये एक विदेशी वस्तु है, सनातनी इसका खूब स्तेमाल करते हैं। इसका सीधा मतलब ये है कि सनातनी हिन्दू लोग संसार के किसी भी देश या देश की वस्तु में भेद भाव नहीं करते,सब को अपनेपन की भावना के साथ अपनाते हैं!

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White "बहुत जलाया हैं संघर्ष की आग में जिस्म को इस बार, लगता है ज़रूर मिलेगी मौत इस बार।" ©Devrajsolanki

#विचार #devrajsolanki #sad_shayari  White "बहुत जलाया हैं संघर्ष की आग में जिस्म को इस बार, 
लगता है ज़रूर मिलेगी मौत इस बार।"

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