White टूटती हैं पतवार तो टूटने दे तू..
चल लहरों को चीरते हुए,
आज डूबती है नाव तो डूबने दे तू।
कर किनारों पर पड़ाव यू,
थमती है सांसे तो थमने दे तू।
पैरों पे जरा सी मिट्टी जमने दे,
प्यासी हैं मिट्ठी भी तो थार पे
दो कदम जिन्दगी चलने दे तू।
आंखों में आंधी की झपट पड़ने दे,
जरा इन झीलों को भी तो जलने दे तू।
होती हैं बगावत ख़ुद में तो हो जानें दे,
अपने मैं आज बदलाव को आने दे तू।
गलती हैं देह तो गलने दे जरा,
जिन्दगी को पानी सा चलने दे तू।
- देवराज सोलंकी
©Devrajsolanki
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