कल बो चली गयी,आज मैं चला गया,
इस तरह से ये आदत बढ़ती चली गयी...!
...
न फिक्र उसने की,न फिक्र मैंने की,
इस तरह से दूरी बढ़ती चली गयी...!
...और
तब बो थी ख़फ़ा,अब मैं हूँ ख़फ़ा,
इस तरह बो दिल से निकलती चली गयी...!
(कोई इस बारे में जानता है की उसकी आँखों मे लोग फस जाते हैं like प्यार हो जाता है
तो बो बोल रहा है)
फ़क़त(केबल) आँखे ही है ये न गलती कर जाए कोई
वहाँ खड़े होकर समंदर समंदर चिल्लाये कोई
(लोगों को उसकी सच्चाई बताये कोई)
..
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विश्वास बिश्वास ही था जो तू आज़ाद था,
बरना पिंजरे से कोई पंछी उड़ के दिखाए मुझे..!
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