जय परमेश्वर
दुनीयांःकलजग२बोलतीहे परंन्तु यह कोईभी नही कहताहे'कियह'रावणकी तरहसे ईनबनीयोंने पापका नांम,बदलकरके,चलायाहे सोनहीसमझते कियह कलुकाल-बनीयोंके-घरका-पापहे ओर ईसीपापसे ; लोगों की;अकल,केदहोरहीहे किजो नातोपंन्डीत!ओर!नासाधु फकीर ओर नाराजाःबादशाह ओर नारईयत ईस,पापहोनेकेउपर,गोरकरतेहें कियह कलुकाल - ऐक कीसमकाःपापहे;किजीसको बनीयोंने सातों आठों वलायतोंका'धनलेनेकेवास्ते; चलायाहे ओर सबकी अकलोंको,अपने,राक्षसीपापसे भ्रष्टकरदीहे ईससे जराभी.खयाल.नहीकरते हालांकि कच्ची उमरमेही लाखोंमरद ओरतःओर;
बाल-बच्चसमेत साल बसाल मरतेजातेहें,तोसंसारकेलोग,यह खयालनहीकरते कियहःक्यासबबहे;क्युंकिपहले,जोकोई मरताथा तोपुरीउमरपाके मरताथा!ओर!अबतो; कमउमरमेही मरजातेहें सोदुनीयांमे-कीसीने-राक्षसीपापतो नहीचलायाहे जीस;की-तलाशकरें-ओर तलाशकरके पापकोदेखें ओर पापको?छोडावें-सोतोकीसी को नहीसुझताहे कियह कलुकाल,बनीयोंके,घरकापापहे..... ( ७५ - ७६ )
अज तसनीफ साध अनुपदास लीखी-
कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) तमांम पढ़कर बंन्दोबस्त करो
छावणी ऐरनपुरामें, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.)
ता १७ अप्रेल संन १९०९ झा बैसाष बुदी १२ सं॥ १९६५
M. No. :- 8905653801
www.jagathitkarnioriginal.org
©JAGAT HITKARNI ( 274 )
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here