खामोशी में भी क्यूँ सुकूँ नही आता,
सर्कस चल रही हैं,ये मुझे हँसना क्यूँ नही आता
एक मैं ही तो नही जिसने मुक़दमा दायर किया हो
सवाल सारे कटखरे में है,जवाब क्यूँ नही आता...
मुसल्सल मैं ही तरसता हूँ दीदार को तेरे,
क्या तुझे मेरा ख़्याल नही आता
मेरा बचपना भारी पड़ रहा है उम्र पर
किनारे पे मैं बैठा हूँ,
तुम्हे मिलने की आशा है
मैं लहरों में तुम्हे ढूँढू,
कि बह जाने की आशा है
मुझे मल्लाह ,बना दो तुम
कि संग गोते लगाऊंगा
मज़ा लहरों के मिलने का,
समंदर में ही आता है🖤
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