उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए..
ठोकरें खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब, वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया ।
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#आँसू जानते हैं कौन अपना है, तभी अपनों के आगे निकलते हैं, #मुस्कुराहट का क्या है, #गैरों से भी #वफा कर लेती है.
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