shinning shristi

shinning shristi

Shristi Singh Rajput✨ ✍️

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video
#कविता #socialissues #sad_poetry #womenlife #Trending #Kolkata  White साल बदलता गया, तारीखें बदली 
कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली
इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो
औरतों के अंदर का डर...

डर, अपने चरित्र को बचाने की
समाज में बराबर का ओहदा पाने की
खुदको सफल और संपन्न बनाने की

डर, इस बात की, कहीं कोई बात न हो जाए
घर – दफ्तर के बीच कहीं ज्यादा रात न हो जाए
एक गलत कदम और सब कुछ बर्बाद न हो जाए

डर कायम रहा...
लेकिन वो नारी है, इतनी जल्दी कहां हारी है
औरतें इतने पर रुकीं नहीं, वक्त के आगे झुकी नहीं
चलती गई, अपने सपने बुनती गई

साल बदलता गया, तारीखें बदली 
कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली
इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो
औरतों के अंदर का डर...

©shinning shristi

औरतों के अंदर का डर #sad_poetry #poem #Women #womenlife #Trending #Kolkata #India #socialissues हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

81 View

#shristisinghrajput #mywritingmywords #thoughtoftheday #ghazal #Moon  मैं रात का चमकता चांद हूं,
तुम सुबह की सुनहरी किरण।
न जाने कब और कैसे हुआ,
हमारा यह अनोखा मिलन ।

मैं आसमान में बादल का गर्जन,
तुम धरती पर पड़ती बारिश की बूंद।
मैं तेज़ आग की ज्वाला हूं,
तुम ठंडे पानी का शीतल कण।

मैं रात का चमकता चांद हूं,
तुम सुबह की सुनहरी किरण।
न जाने कब और कैसे हुआ,
हमारा यह अनोखा मिलन।

©shinning shristi

वक़्त के गुजरने से अगर यादें खत्म हो जाती है, तो वक़्त का गुजरना अच्छा है.... ©shinning shristi

#thoughtoftheday #TimeChanges #thought  वक़्त के गुजरने से अगर 
यादें खत्म हो जाती है,
 तो वक़्त का गुजरना
अच्छा है....

©shinning shristi

Alone बंद कमरे में नाराज़गी से अच्छा है.... खुली हवाओं में सांस ले लो न वक्त का पता चलेगा न जज़्बात बाहर आएंगे ©shinning shristi

#hindi_shayari #Loneliness #selfcare #jazbaat #Quotes  Alone  बंद कमरे में 
नाराज़गी से अच्छा है....
 खुली हवाओं में सांस ले लो
 न वक्त का पता चलेगा 
न जज़्बात बाहर आएंगे

©shinning shristi

ऐ वक्त ठहर भी जा, कुछ पल सुकून के जी तो लूँ.. मन है प्यासा, कंठ सूखे, नफरत के घूँट कुछ पी तो लूँ.. ऐ वक्त ठहर भी जा, कुछ पल सुकून के जी तो लूँ

#randomthoughts #mywritings #Emotions #sukoon #Time  ऐ वक्त ठहर भी जा,
कुछ पल  सुकून के जी तो लूँ..
मन है प्यासा, कंठ सूखे,
नफरत के घूँट कुछ पी तो लूँ..
ऐ वक्त ठहर भी जा,
कुछ पल सुकून के जी तो लूँ

"रिश्तों का चक्रव्यूह " दुनिया के इस मोह भँवर में.... दुनिया के इस मोह भँवर में सुखी वही कहलाता है रिश्तों के इस मायाजाल से खुद को दूर जो पाता है इस चक्रव्यूह की रचना में.... इस चक्रव्यूह की रचना में उलझ कर ही रह जाता है जीवन के हर मोड़ पे खुद को तनहा अकेला पाता है भावुक्ता की आँधी में.... भावुक्ता की आँधी में कुछ झिंझोड़ सा जाता है लालसा के दलदल में रिश्तों का दामन छुट जाता है बाहर के इस शोर से,अन्दर कुछ टूट सा जाता है इस चक्रव्यूह में फँसकर मन कुछ व्याकुल सा हो जाता है अपने और पराये में फर्क समझ नहीं आता है रिश्तों के पैरामीटर पर दौलत बाजी़ मार जाता है अपना ही अपना आखिर क्यूँ कहलाता है जब इस मोह भँवर में रिश्ता धुधँला सा पड़ जाता है बाहर की इस भीड़ में कोई अपना नजर नहीं आता है फिर भी इस चक्रव्यूह में फँसकर ही रह जाता है अभिमन्यु की भाँति.... अभिमन्यु की भाँति जोड़ बडा़ लगाता है पर इस चक्रव्यूह में खुद को अकेला ही पाता है शब्दो का समंदर,जब तूफान बन आता है अंतर्मन में भारी सन्नाटा छा जाता है रिश्तों की मर्यादा में .... रिश्तों की मर्यादा में खुद को बंधा ही पाता है फिर भी इन रिश्तों का दामन छुट सा जाता है... फिर भी इन रिश्तों का दामन छुट सा जाता है... - सृष्टि सिंह राजपूत

#Fakepeople  "रिश्तों का चक्रव्यूह "

दुनिया के इस मोह भँवर में....
दुनिया के इस मोह भँवर में सुखी वही कहलाता है
रिश्तों के इस मायाजाल से खुद को दूर जो पाता है

इस चक्रव्यूह की रचना में....
इस चक्रव्यूह की रचना में उलझ कर ही रह जाता है
जीवन के हर मोड़ पे खुद को तनहा अकेला पाता है

भावुक्ता की आँधी में....
भावुक्ता की आँधी में कुछ झिंझोड़ सा जाता है
लालसा के दलदल में रिश्तों का दामन छुट जाता है
बाहर के इस शोर से,अन्दर कुछ टूट सा जाता है
इस चक्रव्यूह में फँसकर मन कुछ व्याकुल सा हो जाता है

अपने और पराये में फर्क समझ नहीं आता है
रिश्तों के पैरामीटर पर दौलत बाजी़ मार जाता है
अपना ही अपना आखिर क्यूँ कहलाता है
जब इस मोह भँवर में रिश्ता धुधँला सा पड़ जाता है

बाहर की इस भीड़ में कोई अपना नजर नहीं आता है
फिर भी इस चक्रव्यूह में फँसकर ही रह जाता है
अभिमन्यु की भाँति....
अभिमन्यु की भाँति जोड़ बडा़ लगाता है
पर इस चक्रव्यूह में खुद को अकेला ही पाता है

शब्दो का समंदर,जब तूफान बन आता है
अंतर्मन में भारी सन्नाटा छा जाता है
रिश्तों की मर्यादा में ....
रिश्तों की मर्यादा में खुद को बंधा ही पाता है
फिर भी इन रिश्तों का दामन छुट सा जाता है...
फिर भी इन रिश्तों का दामन छुट सा जाता है...
                    
 - सृष्टि सिंह राजपूत

#Fakepeople

5 Love

Trending Topic