ए ज़िन्दगी एक बात ज़रा मैं कड़वी कहदूं ,तो रूठ ना जाना
जो दिल पर ठेस पहुंचे तुम्हारे, तो तुम टूट ना जाना।।
जिसके स्वाद और चुस्कियों में मैंने एक एक घड़ी यादगार जी है
सच कहूं तो ए ज़िन्दगी मैंने तुझसे भी ज़्यादा चाय से मोहब्बत की है।
KAUSHAL
अब क्यों ढूंढते हो मुझे, क्यों मेरा इंतज़ार करते हो
क्यों दरबदर तुम, मेरे लिए पागलों की तरह घूमते-फिरते हो ।।
याद करो, जब तुम्हें हमारी और हमारी सच्ची मोहब्बत की कद्र ना थी
अब क्यों उस मोहब्बत को याद करके अपनी ज़िन्दगी तबाह करते हो।।
कौशल
चला जा रहा था अपनी धुन में, ना जाने मुझे किस मंज़िल की तलाश थी
फिर अचानक एक मोड़ पे उनसे मुलाक़ात हो गई मेरी।।
फिर क्या, मेरे रास्ते उन मंज़िलों से भी खूबसूरत हो गए
इस तरह वो मेरे और हम उनके, बीच सफर में ही हमसफ़र हो गए।।
कौशल किशोर
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