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Poetess and writer
White ये किस तरह से मुझे समझाया जा रहा है क्या सही, क्या गलत है बताया जा रहा है मेरा सबकुछ है, ये शेर ओ सुख़न मेरा सबकुछ ही मुझसे माँगा जा रहा है ©Rashmi rati
Rashmi rati
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White समझ नहीं आता इस बेचैनी का सबब हमको क्यूँ रहती है सुख़न की इतनी तलब हमको ख़ुद को पाती हूँ हर वक़्त ख़्यालों की क़ैद में कशमकश ए ज़िन्दगी से मिलेगी रिहाई कब हमको ©Rashmi rati
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