बचपन से ही कविता का शौक होते हुए भी सेवा के दौरान यह मौका नही मिल सका।अब जब की सेवा निवृत हो चुका हूं तो पुराना शौक़ पुनः जागृत हुई है, और अब मैं कविता के माध्यम से आप सब से जुड़ना चाह रहा हूँ।
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