भला तुझसे कैसी नाराजगी, तुझसे कैसी सिकायत। मैं दुआ करूँगा की मेरी वजह से कभी तेरी आँखे नम न हो, तुझे कोई गम न हो। तु आबाद रहना ऊन गलियों में भी जहाँ मेरी मनहूस छाया कम न हो।
अगली बारिश की खुदा से ये ख्वाहिश करेंगे,
एक मुलाकात हो तुमसे ये गुजारिश करेंगे,
कहीं भिंग रही होगी गर बिन छतरी के तुम!
मेरी बाँहों में पनाह लो तुम ये सिफारिश करेंगे!
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