Maa एक माँ ही थी जो लाई थी
उसने ही चलने की राह दिखाई थी
मुझे गिरते देख न घबराई थी
देख गिरते हुए भी मुझे वो ही उठाई थी
जब भी बात मुझ पे आई थी
सबसे पहले उस बात को अपने पे लेने पहले वो ही आई थी
चाहे डाट उसकी कितनी खाई थी
आजतक उसकी परवरिश पर किसी ने ऊँगली न उठाई थी
मै शायद तेरी जैसी माँ पाने की हकदार नही थी
तु न होती मेरी माँ तो शायद मेरी कोई औकात नही थी
भगवान के रूपो की पुजा करनी माँ ने सिखाई थी
भगवान को शायद माँ के रूप मे पाई थी
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