Rahul Lohat

Rahul Lohat Lives in Gurugram, Haryana, India

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White प्यार-व्यार दूर होकर मैं आया इस पार, तेरे यार जैसा मीलेगा ना तुझे दूजा यार, तारीख याद कर बेटे था वो इतिहास का, चार चार बानवें , वो दिन था शनिवार।। (04- 04- 1992) Fake बातें करूँ ना मैं बाते करूं सीधी, देसी Hip -Hop की बताऊं तुझे विधि, दिल से इज्जत करूँ मैं तो हर एक नारी की, दिखावे के लिए किसी को कहता ना दीदी।। सुनो, इश्क़ के रास्तों में कभी भी आने का नहीं, किसी ओर के हक का कभी खाने का नहीं, वो चाहने के दावे तुझे करेगी हर रोज, पर वो बुलाती है, मगर जाने का नहीं।। हाँ, देख... यहाँ कौन आया वापस, लिखूं मैं नज़्म तब जलते कागज़, हां, फक्र है मुझे खुद अपनी कला पे, लिखूं ना फिज़ूल, मैं लिखता जायज़।। ©Rahul Lohat

 White   प्यार-व्यार दूर होकर मैं आया इस पार,
तेरे यार जैसा मीलेगा ना तुझे दूजा यार,
तारीख याद कर बेटे था वो इतिहास का,
चार चार बानवें , वो दिन था शनिवार।।
(04- 04- 1992)

Fake बातें करूँ ना मैं बाते करूं सीधी,
देसी Hip -Hop की बताऊं तुझे विधि,
दिल से इज्जत करूँ मैं तो हर एक नारी की,
दिखावे के लिए किसी को कहता ना दीदी।।

सुनो, इश्क़ के रास्तों में कभी भी आने का नहीं,
किसी ओर के हक का कभी खाने का नहीं,
वो चाहने के दावे तुझे करेगी हर रोज,
पर वो बुलाती है, मगर जाने का नहीं।।

हाँ, देख... यहाँ कौन आया वापस,
लिखूं मैं  नज़्म  तब जलते कागज़,
 हां, फक्र है मुझे खुद अपनी कला पे,
लिखूं ना फिज़ूल, मैं लिखता जायज़।।

©Rahul Lohat

Me And My Lonely Kingdom

15 Love

कोसता वो बाप उस पल को जब घर में जन्मी बेटी थी, बेटों सा उसपर गुमान, वो औलाद उनकी एक ही थी, परीक्षा दर्जनों की पास, फिर डिग्री बस लपेटी थी, थी वो अर्धनग्न अवस्था, जब लाश वो समेटी थी।। वो तो रातों को थी जागती, क्योंकि आंखो में जनून था, तन पर सफेद कोट देख उस बाप की आंखो में सकून था, अब खो गया वो देश मेरा जहां पर होता कभी रंगून था, दरिदंगी रुह को भी नोच गई , बह रहा आंखो से भी खून था।। जला ली मोमबत्तियां, जमा अब हरामखोरो की कौम है, शर्मसार अब इंसान, सही इंसान यहां पर कौन है! अंदर से खोखलें ये मर्द भी, नकली मर्दानगी की रौन है, दोषियों को काट दो या मार दो, सरकारें अब क्यों मौन है!! सरकारें अब क्यों मौन है!! . ©Rahul Lohat

#Stoprape #SAD  कोसता वो बाप उस पल को जब घर में जन्मी बेटी थी,
बेटों सा उसपर गुमान, वो औलाद उनकी एक ही थी,
परीक्षा दर्जनों की पास, फिर डिग्री बस लपेटी थी,
थी वो अर्धनग्न अवस्था, जब लाश वो समेटी थी।।

वो तो रातों को थी जागती, क्योंकि आंखो में जनून था,
तन पर सफेद कोट देख उस बाप की आंखो में सकून था,
अब खो गया वो देश मेरा जहां पर होता कभी रंगून था,
दरिदंगी रुह को भी नोच गई , बह रहा आंखो से भी खून था।।

जला ली मोमबत्तियां, जमा अब हरामखोरो की कौम है,
शर्मसार अब इंसान, सही इंसान यहां पर कौन है!
अंदर से खोखलें ये मर्द भी, नकली मर्दानगी की रौन है,
दोषियों को काट दो या मार दो, सरकारें अब क्यों मौन है!!
सरकारें अब क्यों मौन है!!












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©Rahul Lohat

#Stoprape

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