धर्म मज़हब ने दिखाए दिखाए ऐसे भी मंज़र यहां
अपने घर में आने पर अब, चहरा पूछा जाता है ।
# CAA/ NRC
12 Love
हम थक गए उनसे वफ़ा करते
ना दूर जाते गर तो क्या करते
वो जाम तो पीना ही था हमको
हम साकी को कैसे ख़फ़ा करते
इज़हारे मोहोब्बत से क्या डरना
तुम बोलते उतनी दफ़ा करते
हैं भीख पर जीते खुदा की हम
किस हक़ से मुफ़्लिस को दफा करते
गर देख लेते आंख से अल्लाह
तुम मुस्तफ़ा ही मुस्तफ़ा करते
हम थक गए उनसे वफ़ा करते
ना दूर जाते गर तो क्या करते
वो जाम तो पीना ही था हमको
हम साकी को कैसे ख़फ़ा करते
इज़हारे मोहोब्बत से क्या डरना
तुम बोलते उतनी दफ़ा करते
हैं भीख पर जीते खुदा की हम
किस हक़ से मुफ़्लिस को दफा करते
गर देख लेते आंख से अल्लाह
तुम मुस्तफ़ा ही मुस्तफ़ा करते
10 Love
रस्सी जल गई, पर बल नहीं निकला
दिल के मसअले का, हल नहीं निकला
भूल जाना चाहा, पर न पाए हम
उसको सोचे बिन, इक पल नहीं निकला
रस्सी जल गई, पर बल नहीं निकला
दिल के मसअले का, हल नहीं निकला
भूल जाना चाहा, पर न पाए हम
उसको सोचे बिन, इक पल नहीं निकला
14 Love
फ़िर न जाने किस, हौसले में जी रहे थे हम
जब रकीबों के घोंसले में जी रहे थे हम
खुदकी आवाज़ों का, खुदी पर था असर नहीं
खुदसे भी काफ़ी फासले में जी रहे थे हम
वो तो ऐसे भागा, गोया पिंजरे में था
उसके ही तो हर फ़ैसले में जी रहे थे हम
फ़िर न जाने किस, हौसले में जी रहे थे हम
जब रकीबों के, घोंसले में जी रहे थे हम
खुदकी आवाज़ों का, खुदी पर था असर नहीं
खुदसे भी काफ़ी, फासले में जी रहे थे हम
वो तो ऐसे भागा गोया पिंजरे में था
उसके ही तो हर फ़ैसले में जी रहे थे हम
16 Love
हुस्न पे तंज होता है
बज़्म में संज होता है
जिस गली से तू गुजरे वो
दौलता गंज होता है
बाल नाखून से मत ठेल
कंघी को रंज होता है
इश्क़ को सरकशी मत बोल
बेहुदा तंज होता है
मायने पर्खे फिर दे दाद
वो सुख़न-संज होता है
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