ROShAN PATEL

ROShAN PATEL Lives in Rajnandgaon, Chhattisgarh, India

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तेरे नाम से जाना जाने वाला, वजूद को मैं सलाम करता हूँ! झुकता है तेरे कदमों पर सर मेरा, ऐ माँ तेरे कुर्बान,सजदा मैं सुभो शाम करता हूँ! जो दी तूने वो तुझपर समर्पित, रत्ती भर जो मेरी सारी उमर हैं, तुझपे तमाम करता हूँ! तेरी खुशी से ज्यादा कब माँगा हैं ख़ुदा से, पता तुझे भी हैं कैसे तेरे इक अश्क में, मैं सौ बार मरता हूँ! वो शब्द ही क्या जिसमें तेरी सीख ना हों, वो जिंदगी ही क्या जिसमें तेरी भीख ना हों! घर आकर खोजती नजरे तुझे, हास्टल मे भी तेरे दीदार का इन्तेजाम करता हूँ! झुकता है तेरे कदमों पर सर मेरा, ऐ माँ तेरे कुर्बान, सजदा मैं सुभो शाम करता हूँ!

 तेरे नाम से जाना जाने वाला,
वजूद को मैं सलाम करता हूँ!
झुकता है तेरे कदमों पर सर मेरा,
ऐ माँ तेरे कुर्बान,सजदा मैं सुभो शाम करता हूँ!


जो दी तूने वो तुझपर समर्पित, 
रत्ती भर  जो मेरी सारी उमर हैं, 
तुझपे तमाम करता हूँ! 


तेरी खुशी से ज्यादा कब माँगा हैं ख़ुदा से,
पता तुझे भी हैं कैसे तेरे इक अश्क में,
मैं सौ बार मरता हूँ!


वो शब्द ही क्या जिसमें तेरी सीख ना हों, 
वो जिंदगी ही क्या जिसमें तेरी भीख ना हों! 
घर आकर खोजती नजरे तुझे, 
 हास्टल मे भी तेरे दीदार का इन्तेजाम करता हूँ! 
झुकता है तेरे कदमों पर सर मेरा, 
ऐ माँ तेरे कुर्बान, सजदा मैं सुभो शाम करता हूँ!

तेरे नाम से जाना जाने वाला, वजूद को मैं सलाम करता हूँ! झुकता है तेरे कदमों पर सर मेरा, ऐ माँ तेरे कुर्बान,सजदा मैं सुभो शाम करता हूँ! जो दी तूने वो तुझपर समर्पित, रत्ती भर जो मेरी सारी उमर हैं, तुझपे तमाम करता हूँ! तेरी खुशी से ज्यादा कब माँगा हैं ख़ुदा से, पता तुझे भी हैं कैसे तेरे इक अश्क में, मैं सौ बार मरता हूँ! वो शब्द ही क्या जिसमें तेरी सीख ना हों, वो जिंदगी ही क्या जिसमें तेरी भीख ना हों! घर आकर खोजती नजरे तुझे, हास्टल मे भी तेरे दीदार का इन्तेजाम करता हूँ! झुकता है तेरे कदमों पर सर मेरा, ऐ माँ तेरे कुर्बान, सजदा मैं सुभो शाम करता हूँ!

8 Love

आओ तुम्हें प्रेम में, इस तरह साक्षर कर दूँ! तुम बनो कोरा काग़ज मेरा, मैं इश्क की स्याही से तुमपर हस्ताक्षर कर दूँ! सुनी लगती है मांग तुम्हारी, सोचता हूं सातो रंग इनमें भर दूं! क्या होगा मुद्दतों बाद क्या पता, इस पहर सोचता हूँ तुम्हारे नाम उमर कर दूँ!

 आओ तुम्हें प्रेम में,
इस तरह साक्षर कर दूँ! 
तुम बनो कोरा काग़ज मेरा, 
मैं इश्क की स्याही से तुमपर हस्ताक्षर कर दूँ!
सुनी लगती है मांग तुम्हारी, 
 सोचता हूं सातो रंग इनमें भर दूं!
क्या होगा मुद्दतों बाद क्या पता, 
इस पहर सोचता हूँ तुम्हारे नाम उमर कर दूँ!

आओ तुम्हें प्रेम में, इस तरह साक्षर कर दूँ! तुम बनो कोरा काग़ज मेरा, मैं इश्क की स्याही से तुमपर हस्ताक्षर कर दूँ! सुनी लगती है मांग तुम्हारी, सोचता हूं सातो रंग इनमें भर दूं! क्या होगा मुद्दतों बाद क्या पता, इस पहर सोचता हूँ तुम्हारे नाम उमर कर दूँ!

8 Love

कमज़ोर नहीं हुँ कमज़ोर नहीं हुँ, मुझमें अब भी ज़ोर बहोंत हैं! आवाज़ हुँ मैं, मेरे सन्नाटे में शोर बहोंत हैं!

 कमज़ोर नहीं हुँ
कमज़ोर नहीं हुँ, मुझमें अब भी ज़ोर बहोंत हैं!
आवाज़ हुँ मैं, मेरे सन्नाटे में शोर बहोंत हैं!

कमज़ोर नहीं हुँ कमज़ोर नहीं हुँ, मुझमें अब भी ज़ोर बहोंत हैं! आवाज़ हुँ मैं, मेरे सन्नाटे में शोर बहोंत हैं!

5 Love

ख़ुदा ने उसके हालात कभी नहीं बदले!! ना हों ख़्याल जिसको ख़ुद के हालात बदलने का!!

 ख़ुदा ने उसके हालात कभी नहीं बदले!!
ना हों ख़्याल जिसको ख़ुद के हालात बदलने का!!

ख़ुदा ने उसके हालात कभी नहीं बदले!! ना हों ख़्याल जिसको ख़ुद के हालात बदलने का!!

5 Love

पलक झपकते बोली बात बदल गयी हम मयखाने में जब तक थे सब ठीक था, बाहर आये तो जैसे बिसात बदल गयी! यूँ तो रोज़ होता न था राबता मय से हमारा, लबों से लगाया ही था और देखते ही देखते जमात बदल गयी! कल मोहताज़ थे दो रोटी को आज ठुकरा रहे हों परसी थाली को, क्या हुआ जनाब, पेट भरते ही औक़ात बदल गयी! कल झुक कर सलामी देते थे, आज नज़रे मिला कर बात कर रहे हों, पटेल का औहदा गिर गया या तुमसे हमारी मुलाकात बदल गयी!

 पलक झपकते

बोली बात बदल गयी
हम मयखाने में जब तक थे सब ठीक था, 
बाहर आये तो जैसे बिसात बदल गयी!
यूँ तो रोज़ होता न था राबता मय से हमारा,
लबों से लगाया ही था और  देखते ही देखते जमात बदल गयी! 
कल मोहताज़ थे दो रोटी को आज ठुकरा रहे हों परसी थाली को, 
क्या हुआ जनाब, पेट भरते ही औक़ात बदल गयी! 
कल झुक कर सलामी देते थे, आज नज़रे मिला कर बात कर रहे हों, 
पटेल का औहदा गिर गया या तुमसे हमारी मुलाकात बदल गयी!

पलक झपकते बोली बात बदल गयी हम मयखाने में जब तक थे सब ठीक था, बाहर आये तो जैसे बिसात बदल गयी! यूँ तो रोज़ होता न था राबता मय से हमारा, लबों से लगाया ही था और देखते ही देखते जमात बदल गयी! कल मोहताज़ थे दो रोटी को आज ठुकरा रहे हों परसी थाली को, क्या हुआ जनाब, पेट भरते ही औक़ात बदल गयी! कल झुक कर सलामी देते थे, आज नज़रे मिला कर बात कर रहे हों, पटेल का औहदा गिर गया या तुमसे हमारी मुलाकात बदल गयी!

4 Love

फ़िलहाल तो नहीं तू कभी जिंदगी मेरी थीं, हैं, फ़िलहाल तो नहीं! छोड़ कर गयी कोई बात नहीं जाते जाते कोई सवाल तो नहीं! ज़माने से भीड़ता ग़र साथ होती मेरा छोड़ तेरा बता तुझे मुझसे कोई मलाल तो नहीं!

 फ़िलहाल तो नहीं
 तू कभी जिंदगी मेरी थीं, हैं, फ़िलहाल तो नहीं!
छोड़ कर गयी कोई बात नहीं
जाते जाते कोई सवाल तो नहीं! 
ज़माने से भीड़ता ग़र साथ होती 

मेरा छोड़ तेरा बता
तुझे मुझसे कोई मलाल तो नहीं!

फ़िलहाल तो नहीं तू कभी जिंदगी मेरी थीं, हैं, फ़िलहाल तो नहीं! छोड़ कर गयी कोई बात नहीं जाते जाते कोई सवाल तो नहीं! ज़माने से भीड़ता ग़र साथ होती मेरा छोड़ तेरा बता तुझे मुझसे कोई मलाल तो नहीं!

6 Love

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