तेरे नाम से जाना जाने वाला,
वजूद को मैं सलाम करता हूँ!
झुकता है तेरे कदमों पर सर मेरा,
ऐ माँ तेरे कुर्बान,सजदा मैं सुभो शाम करता हूँ!
जो दी तूने वो तुझपर समर्पित,
रत्ती भर जो मेरी सारी उमर हैं,
तुझपे तमाम करता हूँ!
तेरी खुशी से ज्यादा कब माँगा हैं ख़ुदा से,
पता तुझे भी हैं कैसे तेरे इक अश्क में,
मैं सौ बार मरता हूँ!
वो शब्द ही क्या जिसमें तेरी सीख ना हों,
वो जिंदगी ही क्या जिसमें तेरी भीख ना हों!
घर आकर खोजती नजरे तुझे,
हास्टल मे भी तेरे दीदार का इन्तेजाम करता हूँ!
झुकता है तेरे कदमों पर सर मेरा,
ऐ माँ तेरे कुर्बान, सजदा मैं सुभो शाम करता हूँ!
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